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________________ के हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके परिणाम भी बहुत अच्छे आए हैं। बड़े-बड़े खूखार आदमी भी बदल जाते है। असम में अच्छे-अच्छे युवक, जो हिंसा का रास्ता पकड़ चुके थे और उल्फा जैसे संगठनों के साथ काम कर रहे थे, उन्होंने हथियार रख दिये और अहिंसा का काम करने का संकल्प व्यक्त किया। एक युवक ने अपनी स्वचालित राइफल सौंपते हुए कहा-'अभी तक इससे मैं लोगों को मारता था। अब जिसे मैं इसको बेचूंगा वही मारेगा, इसलिए मैं इसे बेचूंगा नहीं, नष्ट कर दूंगा।' ऐसा होता है संवेग नियंत्रण के द्वारा। अगर हम मस्तिष्क धुलाई या ब्रेनवॉशिंग कर सकें और हृदय परिवर्तन या चेतना का रूपांतरण कर सकें तो फिर सारी समस्याएँ सुलझ जाएंगी। अहिंसा प्रशिक्षण के लिए आचार्य महाप्रज्ञ ने संवेग नियंत्रण पर विशेष बल दिया। क्योंकि हिंसा का मुख्य कारण संवेग का असंतुलन ही है। यदि संवेगों पर नियंत्रण हो जाए तो व्यक्ति हिंसा से काफी हद तक बच सकता है। आर्थिक समस्या को हल करने में भी प्रयत्न रत हैं। पिछले दो दशक से अहिंसा प्रशिक्षण का कार्य चल रहा है। उसमें सक्रियता आई है। आंकड़े बोलते हैं प्रयोगधर्मी राष्ट्रसंत आचार्य महाप्रज्ञ ने वैज्ञानिक प्रविधि के अनुरूप 'अहिंसा प्रशिक्षण' का प्रणनयन कर परिवर्तन की मिशाल कायम की। रोशनी बटोरने का जिम्मा अणुव्रत विश्वभारती की सक्रिय शाखा 'अणुव्रत-शिक्षक संसद' के हाथों थमा। संसंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष के अनुसार 'अणुव्रत शिक्षक संसंद' ने अब तक 34 साप्ताहिक शिविरों में 1834 लोगों को प्रशिक्षण दिया। 18 मासिक शिविरों में 666 लोगों को प्रशिक्षण दिया। अहिंसा प्रशिक्षक-प्रशिक्षण केन्द्र प्रमुख रूप से राजसमंद, टमकोर एवं चण्डीगढ़ में स्थापित है।'' अहिंसा प्रशिक्षण केन्द्रों का राज्यानुसार विवरण (30 सितंबर 2010) S.NO. STATE TRAINING CENTER SHORT T. C R .N.T.C TOTAL 1 177 ___12 Rajasthan Punjab Maharashtra Andhrapradesh Bihar Jharkhand Utterpradesh Haryana Madhyapradesh 38 129 192 359 राष्ट्रीय अणुव्रत शिक्षक संसद भारत देश के 9 राज्यों में 361 अहिंसा प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित कर अहिंसक चेतना व मानव मूल्यों के विकास का कार्य कर रही है। लाखों व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं। केन्द्रों की संख्या में प्रतिवर्ष इजाफ़ा हो रहा है। 322 / अँधेरे में उजाला
SR No.022865
Book TitleAndhere Me Ujala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaralyashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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