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________________ संत श्री बालविजय ने आत्मतोष प्रकट किया- 'झाबुआ में जीवन - विज्ञान एवं अहिंसा - प्रशिक्षण का जो कार्य चल रहा है वह बहुत ही प्रभावी है । आदिवासी लोग भी उसमें रूचि ले रहें हैं। कुछ आदिवासी युवकों ने स्वयं प्रशिक्षण प्राप्त किया है और वे पूरे गांवों को परिवर्तन करने की योजना पर काम कर रहें है ।' अहिंसा प्रशिक्षण से जुड़े लोग जन-जन की अहिंसक चेतना जागरण के पुनीत कार्य को जीवन का आनंद मानकर कर रहे हैं। आसाम में हेम भाई ने अहिंसा के क्षेत्र में रचनात्मक काम किया । उन्होंने 30 हजार लोगों को अहिंसा के संकल्प दिलवाये हैं। उनके प्रभाव से अनेक उग्रवादी लोगों ने हथियार छोड़ दिये।" यह अहिंसात्मक प्रयत्नों की सार्थकता का सुफल है । अहिंसा प्रशिक्षण के सकारात्मक परिणाम के संबंध में महाप्रज्ञ ने आत्मतोष व्यक्त किया । हमने अहिंसा-प्रशिक्षण का कार्य कोई उपदेश, प्रवचन शुरू से नहीं किया, किंतु शरीर के रसायनों में बदलाव और परिवर्तन लाने वाले प्रयोगों से शुरू किया। आदमी से सीधा बुराई छोड़ने की बात के बजाय, पहले उसे विश्वास में लिया। देश के कई भागों में यह कार्य चल रहा है। नैतिकता का प्रशिक्षण और साथ में रोजगार का प्रशिक्षण । चुनौतिपूर्ण कार्य परिवर्तन की मिसाल कायम करने वाला यह उपक्रम परिणामों की दृष्टि से काफी सफल रहा। सफलता के दूसरे छोर पर अहिंसा प्रशिक्षण के लिए एक कड़ी चुनौती भी है । जब कार्यकर्ता अहिंसा प्रशिक्षण का मिशन लेकर बिहार के आतंकग्रस्त क्षेत्र में पहली बार गये तो आतंकवादियों ने उनको बंदी बना लिया। वहां से मुक्त हुए तो पुलिसवालों ने पकड़ लिया। उन्होंने कहा- तुम आतंकवादियों से मिले हुए हो। बड़ी मुश्किल से उनसे मुक्ति मिली। " पर परिवर्तन की दिशा में बढ़ा यह अभियान इन बाधाओं से कहा रूकने वाला था ? दिन-प्रतिदिन गतिशील बनता जा रहा है । परिवर्तन की कहानी : अपनी जुबानी अहिंसा प्रशिक्षण की प्रयोगभूमि पर अनेक लोगों ने अपने जीवन की दिशा और दशा को बदला है। इसके गवाह है लोगों के अपने बयान । स्वयं को कम्युनिस्ट और अहिंसा में विश्वास न होने की दुहाई देने वाले पत्रकार महोदय ने आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा शांति की अनुभूति के आह्वान पर तीन दिनों तक शिविर में भाग लिया। तीसरे दिन वह आचार्य महाप्रज्ञ के पास आया और भक्तिपूर्वक प्रणाम करते हुए कहा - 'अब आपकी बात से सहमत हूँ । अहिंसा प्रशिक्षण के प्रयोगों से मेरा मन शांत हो गया है। मैं इस बात को स्वीकार करता हूँ कि अहिंसा से ही शांति संभव है ।' शांति की डगर को उपलब्ध राजगिर, अहिंसा प्रशिक्षण शिविर में समागत सी. आई.पी. के नालंदा जिले के भतहर प्रखंड सरथरी के श्री रामाधीन प्रसाद ने बताया कि पहले मेरा हिंसा से जुड़े हुए लोगों सम्पर्क था। अतः मेरे पास लायंस शुदा रिवाल्वर भी था । पर अहिंसा का प्रशिक्षण प्राप्त कर मैंने यह निश्चय किया है कि अपना रिवाल्वर बेचकर उससे प्राप्त धन का अहिंसा के प्रचार में उपयोग करूंगा। मैं बिहार के गांवों में अहिंसा और अणुव्रत की अलख जगाऊंगा। 12 ये अनुभव अहिंसा प्रशिक्षण के स्वर्णिम दस्तावेज़ है । इस कड़ी से जुड़े हुए अनेकों उदाहरण है । देश के कई प्रांतो में अहिंसा प्रशिक्षण का प्रभावी कार्यक्रम चल रहा है। बिहार और झारखंड अहिंसा की तकनीक : अहिंसा प्रशिक्षण / 321
SR No.022865
Book TitleAndhere Me Ujala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaralyashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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