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________________ निवास है अतः सत्य-प्रेम की शक्ति से विरोधी की इस शक्ति का जागरण करना। विशेष रूप से 'वसुधैव कुटुम्बकम्' के आदर्श पर दुनिया का कोई मानव पराया है ही नहीं विरोधी भी अपना ही है। सत्याग्रह इसी पारिवारिक भावना का समाज में विस्तार करता है। सभी का आत्मबल असीम है यदि अन्याय के प्रतिकार के लिए आत्मबल का सहारा लें तो वर्तमान कष्टों से एक बड़ी हद तक बचा जा सकता है।.....'बुराई का प्रतिरोध न करो' का अर्थ है, बुराई को बुराई से नहीं, बल्कि भलाई से दूर करो। दूसरे शब्दों में शरीर बल का शरीर बल से नहीं, बल्कि आत्मबल से प्रतिरोध करो। आत्मबल ही सत्याग्रह आंदोलन की आधार भित्ति है। तात्कालीन परिवेश में देखें तो भारतीय संदर्भ में गांधी के सत्याग्रह आंदोलन का आधार दक्षिण अफ्रीका में किया गया सत्याग्रह आंदोलन का सफल प्रयोग था। दक्षिण अफ्रीका में प्रवासी भारतीयों के हित रक्षण हेतु गांधी के नेतृत्व में सत्याग्रह आंदोलन से आठ वर्ष तक चले संघर्ष का अन्त हुआ। आंदोलन की सफलता का निदर्शन है • तीन पौंड का कर समाप्त हुआ। . हिन्दू, मुस्लिम, पारसी विवाह जायज माने गये। . पढ़े-लिखे हिन्दी, भाषी अफ्रीका में आ सकते थे। . आने-जाने के परवाने-परमिट प्रथा हटा दी गयी। इस समझौते पर गांधी और जनरल स्मट्स के हस्ताक्षर हुए तथा जून 1914 को पार्लियामेंट में उसका विधेयक पारित हुआ और कानून बनाया गया। बीस वर्ष से कौम पर थोपा गया अन्याय और अपमान का अहिंसक प्रतिकार से अन्त कर, सत्य की शोध में सत्याग्रह का अमोघ अस्त्र गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में पाया। संसार के इतिहास में ऐसे अहिंसक सत्याग्रह का यह प्रथम प्रयोग था। प्रयोग भूमि पर दुनिया के निम्न कोटि के गिरमिट मजदूरों को साथ लेकर गांधी ने इस अस्त्र का प्रयोग गोरे लोगों की निर्मम सत्ता के सामने किया। दक्षिण अफ्रीका के अनुभवों ने सत्याग्रह की अपरिमित शक्ति को सिद्ध किया और भारतभू के बंधन इसी अस्त्र से तोड़ने का संकल्प प्रबल बना। ___सत्य और प्रेम (सक्रिय अहिंसा) से सारा संसार जीता जा सकता है-यह अटूट आस्था ही उन्हें सत्याग्रह की साधना में नियोजित कर सकी। इसकी संपुष्टि इन पंक्तियों से होती है-'मेरा ख्याल है कि यह पृथ्वी प्रेम के बल पर ही टिकी हुई है। जहाँ प्रेम है, वहीं जीवन है, प्रेम रहित जीवन मृत्यु के समान है। प्रेम उसी सिक्के का दूसरा पहलू है, जिसका पहला पहलू सत्य है।' सत्याग्रह शक्ति का यही रहस्य है। आंदोलन के दौरान इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया कि-सत्याग्रह सरल भी है और कठिन भी। सत्य का ही आग्रह रखने से सारे दुःख दूर हो सकते हैं, अब यह बात सबको आसानी से समझ में आ जानी चाहिए। सत्य का पालन-दुःख दूर करने के लिए होता है। दुःख सहन कठिन लगता है। फिर ज्यों-ज्यों विचार करता हूँ, त्यों-त्यों सिवाय सत्याग्रह के कोई दूसरा उपाय अपने अथवा किसी दूसरे के दुःखों के (निवारण के लिए सूझ नहीं पड़ता। मुझे तो ऐसा भी लगता है कि उसके सिवाय कोई सच्चा इलाज दुनिया में है ही नहीं। ऐसा हो या न हो, किन्तु हम तो अब यह समझने लगे हैं कि सत्याग्रह से विजय पाना (ज्यादा) ठीक रास्ता है।' उनका यह दृढ़ विश्वास जन-जन की चेतना का संचरण पाकर मुखर हो उठा। सत्याग्रह आंदोलन की गुणवत्ता को बरकरार रखने के लिए आंदोलन कारियों के लिए विशेष हिदायतें दी। 274 / अँधेरे में उजाला
SR No.022865
Book TitleAndhere Me Ujala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaralyashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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