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________________ मित्र राष्ट्रों ने शस्त्र का प्रयोग किया। हम इससे उत्तम (अहिंसा) अस्त्र का प्रयोग कर सकते हैं। इस विश्वास और आस्था को मूर्त रूप देते हुए गांधी ने भारत की आजादी की भूमिका में अहिंसक आंदोलन का सूत्रपात किया। जिसकी मुख्य धुरा है-सत्याग्रह, असहयोग, सविनय अवज्ञा, स्वदेशी आदि। सत्याग्रह आंदोलन अहिंसा की अमिट आस्था से निष्पन्न सत्य की खोज का आग्रह यथार्थ के धरातल पर सत्याग्रह कहलाया। अहिंसा के सनातन आदर्श पर चलकर परिस्थितियों से लोहा लेते हुए हिमालयवत् अडिग बने रहने का संकल्प सत्याग्रह का अपना दर्शन है। गांधी का दृढ़ विश्वास था कि मानव के स्वभाव में दैविक गुणों का वास है पर उसे उत्तम प्रक्रिया से जगाने की जरूरत है। यह विश्वास ही सत्याग्रह की आधार शिला है। उनका मानना था कि सत्याग्रह से विरोधी मनःस्थितियों एवं परिस्थितियों का परिष्कार कर अनुकूल वातावरण का निर्माण किया जा सकता है। अहिंसा और सत्य की युगपत साधना के संकल्प पुरस्सर सामूहिक प्रायोगिक कर्मपक्ष का नाम है-सत्याग्रह आंदोलन। ___'सत्याग्रह' संस्कृत के शब्द 'सत्य' और 'आग्रह' के योग से बना है। सत्य के प्रति आग्रह ही सत्याग्रह है। सत्याग्रह का अर्थ है, जिसे हम सत्य समझते हैं उसे मरणपर्यन्त न छोड़ना, सत्य के लिए तकलीफें उठाने की तैयारी, दूसरों को कष्ट न देने का संकल्प क्योंकि कष्ट पहुँचाने मात्र से सत्य का उल्लंघन होता है।' विरोधी को पीड़ा देकर नहीं, अपितु स्वयं को पीड़ा (कष्ट) में डालकर सत्य की रक्षा करना सत्याग्रह है। सत्याग्रह का तात्पर्य है-किसी भी त्याग के मूल्य पर सत्य और न्याय पर आरूढ़ रहने की शक्ति और संकल्प का पैगाम। गांधी ने इसे प्रेमबल या आत्मबल भी कहा है। साथ में यह भी बताया कि सत्याग्रह ऐसी तलवार है, जिसके दोनों ओर धार है। उसे चाहे जैसे काम में लिया जा सकता है। जो उसे चलाता है और जिस पर चलायी जाती है, वे दोनों सुखी होते हैं। वह खून नहीं निकालती, लेकिन उससे भी बड़ा परिणाम ला सकती है। उसके न जंग लग सकता है न चुराई जा सकती है। इसी तलवार से उन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया। सत्याग्रह आंदोलन की संयोजना का स्पष्ट उद्देश्य था भारतीय सभ्यता का संरक्षण। आध्यात्मिक सभ्यता की सुरक्षा गांधी ने इसी मूल्याधारित प्रयत्न में ऑकी। प्रत्येक मनुष्य के सम्मुख संकट निवारण के लिए दो बल हैं, एक शस्त्रबल और दूसरा आत्मबल किंवा सत्याग्रह। यह बुनियादी तौर पर एक धार्मिक शक्ति है। जब तक हमें आत्मा की अखण्ड और अजेय शक्ति में आस्था नहीं होगी, तब तक हमारे संघर्ष की सफल परिणति पर प्रश्नचिहन होगा। पर गलती आन्दोलन या उस शक्ति की नहीं हमारी आन्तरिक दुर्बलता की रहेगी। स्पष्ट है उनका एक मात्र उद्देश्य आत्मशक्ति के बल पर देश को आजाद बनाना था। सत्याग्रह की मीमांसा में सत्यादि धर्मों का स्वयं पालन करने का आग्रह और अधर्म का सत्यादि साधनों के द्वारा ही विरोध इष्ट है। विरोध करने में खासकर अहिंसा के भंग की संभावना रहती है, इसलिए अहिंसा पर जोर देकर कहा-'अधर्म का अहिंसामय साधन से विरोध, सत्याग्रह है।' अहिंसा की पवित्र शक्ति ही इस आंदोलन का प्राण तत्त्व बना जिसका मुख्य लक्ष्य था सत्य और प्रेम के द्वारा अन्यायी के हृदय का संस्पर्श कर स्वयं उसको ही अन्याय के विरोध में खड़ा करना। सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक समस्याओं का निराकरण सत्याग्रह के द्वारा अहिंसक उपायों से करना मुख्य ध्येय रहा। सत्याग्रह का आधारभूत तत्त्व है-मानवीय एकता। सभी के भीतर दिव्यता का समान रूप से अहिंसा का आंदोलनात्मक स्वरूप / 273
SR No.022865
Book TitleAndhere Me Ujala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaralyashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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