SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 153
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नेमार खाना स्वीकार किया, परंतु जहाँ बैठे थे वहाँ से हटे नहीं । यह गौरे की उदंडता और पाश्विक शक्ति के खिलाफ शांति भरे साहस और मानवी गरिमा का दुर्लभ घटना प्रसंग था । स्टैंडरटन में मिले भारतीय व्यापारियों ने गांधी को बताया जो कुछ आपके साथ गुजरा, वह तो ट्रांसवाल में भारतीयों के साथ रोज ही होता है ।.....जोहन्सबर्ग में ग्रांड नेशनल होटल में हिन्दुस्तानियों को न ठहराने की बात सुनी। प्रिटोरिया के लिए बड़ी मुश्किल से प्रथम दर्जे का रेल्वे टिकिट मिला। डरबन से प्रिटोरिया तक की पाँच दिन की यात्रा में गांधी दक्षिण अफ्रीका में भारतीय प्रवासियों की वास्तविक स्थिति से परिचित हो गये । इस सारे घटनाक्रम से पनपी मानसिकता का चित्रण करते हुए लिखा- 'उसी क्षण से उन्होंने (गांधी) दक्षिण अफ्रीका के शासकीय और वर्ण-विद्वेषक सामाजिक अन्याय के खिलाफ कमर कस ली।..... एक क्षण के लिए भी उन्होंने रंग-भेद और जातीय औद्धत्य के आगे अपने हथियार नहीं डाले । चूँकि यह प्रश्न भारत देश और सारी मानव जाति के गौरव की रक्षा और स्थापना का था। 2 गांधी ने अन्तर आत्मा से उठी आवाज पर भारतीय निवासियों की 'ट्रांसवाल' में आम सभा स्थिति संज्ञान हेतु आयोजित की। कारवाई के लिए संगठन पर बल दिया, अंग्रेजी सिखाने का काम शुरू किया। जिस उद्देश्य से दक्षिण अफ्रीका आये दिवानी दावे का बारीकी से अध्ययन किया । अदालती लड़ाई में उभय पक्ष की तबाही देख आपस में झगड़ा निपटाने की सलाह दी। आखिर दोनों (अब्दुल्ला और तैयब) पंच फैसले के लिए राजी हुए। इसमें अब्दुल्ला की जीत हुई पर गांधी के अनुरोध पर तैयबजी को काफी लंबी मोहलत दे दी। इस प्रसंग पर अपना आत्म तोष प्रकट करते हुए लिखा- 'मैंने सच्ची वकालत करना सीखा, मनुष्य-स्वभाव का उज्ज्वल पक्ष ढूँढ़ निकालना सीखा, मनुष्य-हृदय में पैठना सीखा। मुझे जान पड़ा कि वकील का कर्तव्य फरीकैन के बीच में खुदी हुई खाई को भरना है । 13 यह कथन इस तथ्य को प्रकट करता है कि उन्हें समझौता का करीना उपलब्ध हो गया। इस प्रेरणा को उन्होंने ताजिंदगी संजोये रखा । अफ्रीका से विदाई भोज का आयोजन था। गांधी की निगाह 'नेटल मरकर' अखबार पर पड़ी 'इंडियन फ्रेंचाइज' (भारतीयों का मताधिकार) शीर्षक पढ़ा। दक्षिण अफ्रीका में बसे भारतीयों को मताधिकार से वंचित करने के लिए एक विधेयक नेटाल की विधान सभा में पेश किया जा रहा था । भारतीय इससे बेखबर थे। गांधी से वही रुककर लड़ाई को लड़ने का आग्रह किया। समारोह विधेयकविरोधी आन्दोलन की राजनैतिक समिति बन गया । तत्कालीन दक्षिण अफ्रीका में प्रचलित नस्लीय भेदभाव से पीड़ित भारतीय प्रवासियों की दुर्दशा ने तथा स्वयं एक 'कुली बेरिस्टर' रूप में अन्याय प्रत्यक्ष अनुभव ने उनके आत्मबल को गंभीर चुनौती दी और उनमें सोया 'महापुरुष' जागृत हो गया। उनके नेतृत्व में प्रवासी भारतीयों का संगठन बना । सत्याग्रह का श्रीगणेश हुआ, गांधी कई बार जेल गये । तीन चार चरणों में होने वाले सत्याग्रह के आखिर सुपरिणाम निकले। दक्षिण अफ्रीका से विदाई लेते समय गांधी के मिशन की सफलता का जिक्र 'इंडियन ओपीनियन' ने किया। जो मुद्दे सरकार द्वारा मंजूर किये गये, वे थें 1. गिरमिट मुक्त मजदूरों पर से तीन पौंड का कर उठा लिया गया । 2. भारतीय हिन्दू और मुस्लिम पद्धति में किये गए विवाहों की वैधता मान ली गई । 3. अंगूठे की छापवाले अधिवासी प्रमाण-पत्र को दक्षिण अफ्रीका में दाखिल होने और रहने पर परवाना मंजूर किया गया।" एक और स्रोत / 151
SR No.022865
Book TitleAndhere Me Ujala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaralyashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy