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कार्य पुस्तकाकार निष्पन्न हुआ। जिज्ञासुओं तक कृति स्वरूप पहुंचाने की आत्मीयजनों की अनुशंसा भी योगभूत बनी।
महातपस्वी शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण जी एवं संघ महानिदेशिका महाश्रमणी साध्वीप्रमुखा श्री कनकप्रभा जी का मंगल आशीर्वाद, प्रोत्साहन प्रस्तुत कृति का उपधान है। प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से जिनका भी मुझे लेखन कार्य में सहयोग मिला, सभी के प्रति सदैव मेरा अहोभाव बना रहेगा।
शुभाशंसा के साथ मेरा यह आदिभूत प्रयत्न अहिंसा के क्षेत्र में काम करने वालों के लिए आशा किरण बनें। स्वात्म विकास की अभिनव राहें प्रशस्त बनाता रहे।
-डॉ. साध्वी सरलयशा