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________________ महत्वपूर्ण कार्यों को मीडिया द्वारा प्रसारित करें । एक राष्ट्रीय स्तर के स्वतंत्र एवं स्वायत्त संगठन संस्थान की स्थापना हो, जिसका प्रबंधन धार्मिक एवं आध्यात्मिक गुरूजनों, प्रबुद्ध नागरिकों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाये | 24 इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए 'फाउण्डेशन फॉर यूनिटी ऑफ रिलिजियस एण्ड एलाइड सिटीजनशिप (फ्यूरेक)' की स्थापना की गई। इस पर सभी धर्म गुरूओं ने अपनी सहमति जाहिर की। जिसका विधिवत संचार राष्ट्रपति कलाम ने आचार्य महाप्रज्ञ के जन्मदिन पर 15 जून 2004 को राष्ट्रपति भवन में शुरू किया। 211 इस मौलिक उपक्रम के द्वारा यह संभावना की गई कि भारत सन् 2020 तक एक विकसित राष्ट्र के रूप में उभर सकता है, जिसमें उसकी सांस्कृतिक विरासत एवं मूल्यपरक तंत्र समन्वय एवं शांति स्थापना का संदेश पूरे विश्व में प्रसारित कर सकेगा। इस विराट् परियोजना में आचार्य महाप्रज्ञ की अहंभूमिका रही, जो उनकी अहिंसा विकास की आकांक्षा के अनुरूप थी। सूरत घोषणा पत्र ने पूरी दुनिया का ध्यान केन्द्रित किया, विकास को नये संदर्भों में खोजने के लिये । अहिंसक क्रांति के सूत्रधार आचार्य महाप्रज्ञ ने सूरत का आध्यात्मिक इतिहास रचने हेतु साम्प्रदायिक सद्भावना एवं शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की जो मिशाल कायम की । उसकी पृष्ठभूमि में उनका अथक परिश्रम बोलता है। इसकी पुष्टि में एक उदाहरण ही पर्याप्त है। लोगों के निवेदन पर पूज्यवर लिंबायत (उधना यार्ड) पहुँचे। विशेष रूप से मदीना मस्जिद के पास हजारों मुस्लिम भाईयों स्वागत द्वार, स्टेज बनाकर ससंघ आचार्यवर का स्वागत किया । इस अवसर पर आचार्य महाप्रज्ञ ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा हमने सुना है कि यह क्षेत्र सूरत का संवेदनशील क्षेत्र है। आज हम मूल कार्यक्रम में परिवर्तन कर लगभग 10 किलोमीटर का चक्कर लेकर यहाँ पहुँचे हैं। हम मानवीय एकता के लिए ही काम कर रहे हैं और यदि शांति, सद्भावना एवं भाईचारे के वातावरण का निर्माण होता है दस तो क्या एक सौ दस किलोमीटर का चक्कर काटने में भी हमें तकलीफ नहीं होगी बल्कि खुशी होगी । 242 इस अवसर पर उन्होंने यह भी कहा अहिंसा का जीवन, जीवन भर जीया जा सकता है। हिंसा का जीवन जीवनभर नहीं जीया जा सकता। साल के 365 दिनों में आदमी साम्प्रदायिक उन्माद में आकर क्रूर हिंसा केवल दो दिन करता है 363 दिन तो वह एक दूसरे के साथ हिल-मिलकर ही रहता है, पर ऐसे वातावरण का निर्माण करे, दो दिन हिंसा के देखने न पड़े। पारस्परिक प्रेम-सौहार्द पर बल देते हुए परिस्थिति सुधार के महत्वपूर्ण उपाय सुझाये । अहिंसा विकास की दृष्टि से सूरत चातुर्मासिक प्रवास में आचार्य महाप्रज्ञ की पावन सन्निधि में विभिन्न रचनात्मक कार्यों की संयोजना हुई । उनमें से कुछ मुख्य रहे-दस दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय प्रेक्षा-ध्यान शिविर, पुलिस जवानों का दस दिवसीय प्रशिक्षण शिविर, त्रिदिवसीय गुजरात स्तरीय शिविर, हिन्दू-मुस्लिम एकता शिविर, अणुव्रत प्रेक्षा परिवार का त्रिदिवसीय शिविर, पँच दिवसीय प्रेक्षा ध्यान शिविर, मानसिक एकता सम्मेलन, महासभा प्रतिनिधि सम्मेलन, महिला सम्मेलन, अणुव्रत समिति सूरत द्वारा स्वैच्छिक संस्था सम्मेलन, अखिल भारतीय स्तर पर कन्या अधिवेशन, सामंजस्य कार्यशाला, अहिंसा प्रशिक्षण कार्यशाला, स्वस्थ जीवन शैली कार्यशाला आचार्य महाप्रज्ञ चिंतन में वैज्ञानिक दृष्टियाँद्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी इत्यादि महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम परिसंपन्न हुये । सूरत के प्रवास में आध्यात्मिक, धार्मिक, राजनीति से जुड़े प्रमुख महानुभावों ने आचार्य महाप्रज्ञ 116 / अँधेरे में उजाला
SR No.022865
Book TitleAndhere Me Ujala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaralyashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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