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________________ कालबादेवी रोड़, गोरे गांव, घाटकोपर, चेम्बूर, चर्चगेट, ठाणे, डोंबीबिली, दादर, दहीसर, बड़ाला, बोरिवली, वडाला-माटुंगा, भांडुप, मलाड, मुलुंड, वर्ली शांताक्रुज, अंधेरी, उल्लासनगर, नई मुंबई आदि । प्रवास के दौरान वैचारिक दृष्टि से अहिंसा की अपूर्व क्रांति घटित हुई । 'मोहमयी नगरी' के फिल्मी स्टार लोगों से लेकर राजनीति पर्यंत के लोग एवं विभिन्न संप्रदायों से जुड़ें महानुभाव अहिंसा यात्रा के अभियान से ने केवल परिचित हुए अपितु इसके साथ जुड़कर नई चेतना का अनुभव किया । व्यस्त जिंदगी के बावजूद लोगों ने अपने समय का नियोजन पूर्वक अहिंसा यात्रा नायक के सान्निध्य का भरपूर लाभ उठाया । अहिंसा और शांति की आवाज झुग्गी झोंपड़ियों से लेकर गगनचुम्बी अट्टालिकाओं तक पहुँची । विशेष समारोह में मुंबई वासियों को अभिप्रेरित करते हुए अनुशास्ता ने कहा-- ' पूरे धर्म संघ के साथ मेरा मुंबई आने का उद्देश्य यही है कि दुनिया अनुशासन, व्यवस्था व मर्यादा के मूल्य को समझे। इसके बिना कभी अहिंसा का विकास नहीं हो सकता। जब सहन करने की शक्ति जागेगी तभी अहिंसा की बात संभव बन पायेगी। 233 यह संदेश सभी के हृदय को छूने वाला, आत्मानुशासन की प्रेरणा देने वाला साबित हुआ । मुंबई प्रवास में महामहिम राष्ट्रपति श्री ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने आचार्य महाप्रज्ञ के दर्शन 14 फरवरी रात्रि के लगभग नौ बजे किये । विशेष वार्तालाप में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के साथ-साथ अध्यात्म, विज्ञान, पर्यावरण, शिक्षा, अहिंसा, शांति आदि विषयों पर गंभीर मंत्रणा हुई । संतों से भेंट की। बाहर निकलते ही मीडिया के लोगों ने घेर लिया । पत्रकारों का सवाल था- आपको यहाँ क्या मिला ? राष्ट्रपति जी का उत्तर था - Enlightenment and New Energy 'नया प्रकाश और नई ऊर्जा ।' तीर्थकर तुल्य सन्निधि का अनुभव कराने वाला आचार्य महाप्रज्ञ का अहिंसा - शांति का पर्याय व्यक्तित्व ही कुछ ऐसा था जो देश के प्रथम नागरिक को भी अभिप्रेरित करता । 15 फरवरी को आचार्य महाप्रज्ञ और राष्ट्रपति जी के बीच वार्तालाप 65 मिनट तक चला। राष्ट्रपति जी ने महत्वपूर्ण जिज्ञासाओं का समाधान महाप्रज्ञ से किया। इस दो दिवसीय वार्तालाप को प्रतिष्ठित समाचार पत्रों ने 'अध्यात्म और विज्ञान का शिखर सम्मेलन' शीर्षक से सचित्र प्रकाशित किया । 'शिक्षा में नैतिक मूल्य' विषयक सेमिनार के उद्घाटन पर डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने आचार्यवर के साथ हुई विस्तृत चर्चा का उल्लेख करते हुए कहा - 'जागरूक, नैतिक एवं सुसंस्कृत मानव के निर्माण हेतु मैंने आचार्य श्री जी से मार्ग दर्शन प्राप्त किया। उन्होंने आचार्य महाप्रज्ञ के कथन को उद्घृत किया- 'घृणा विहीन, हिंसा रहित और शांतिपूर्ण मस्तिष्क के विकास के लिए नए वातावरण का निर्माण जरूरी है। 2234 चर्चा में अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय पर ध्यान केन्द्रित किया गया । अहिंसा विकास की राहें एक बार फिर से उजागर हुई आध्यात्मिक और राजनैतिक सर्वोच्च मनीषियों के सह-संवाद से । 1 विभिन्न सम्प्रदायों के महत्त्वपूर्ण लोगों ने आचार्य महाप्रज्ञ के अहिंसानिष्ट प्रयत्नों की मूल्यवत्ता को आंका। अपनी विशेष रूचि प्रकट की । इसका अंदाजा इस प्रसंग से लगाया जा सकता है। राज्य मंत्री नसीम खान के साथ प्रमुख मुस्लिम संगठनों के पदाधिकारियों ने आचार्य महाप्रज्ञ से मुलाकात करके अहिंसा के उनके मिशन में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की । ऑल इंडिया जमायते उमेला हिन्द के साथ विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी उत्तर मुंबई - मलाड पहुँचे। अहिंसा यात्रा प्रचेता ने प्रेरक उद्बोधन में कहा- संवाद की कमी की वजह से धार्मिक समुदायों आचार्य महाप्रज्ञ का अहिंसा में योगदान / 111
SR No.022865
Book TitleAndhere Me Ujala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaralyashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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