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________________ . श्रम प्रधान जीवन शैली एवं भावधारा की निर्मलता पर ही अहिंसा की समझ को परिपूर्ण बतलाया। प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन संकल्प करें-मुझे शांति के साथ जीवन जीना है एवं भीतर में बदलने की जिज्ञासा को जागृत रखना है। संकल्प के साथ जीने वाला ही अहिंसा यात्रा का अधिकारी हो सकता है।25 प्रस्तुत संकल्प चेतना की बदौलत लाखों लोगों ने अपनी जीवन की धारा को मोड़ा। अहिंसा यात्रा के माध्यम से जनता को अहिंसा का स्वर सुनने को मिला। यह यात्रा जहाँ से गुजरी, सौहार्द का वातावरण देखने को मिला। अनुशास्ता ने चाहा कि हर व्यक्ति तीन संकल्प ग्रहण करें 1. मैं अनावश्यक हिंसा नहीं करूँगा। 2. मैं निरपराध प्राणी की हत्या नहीं करूँगा। 3. मैं उपभोग सामग्री का संयम करूँगा।26 आचार्य महाप्रज्ञ के आह्वान पर सैंकड़ों लोगों ने इस संकल्पत्रयी को स्वीकार किया। बहुविध रचनात्मक कार्यों को निष्पादित करते हुए अहिंसा-यात्रा प्रगतिशील बनती गई। अहिंसा की अनुगूंज फिर से विश्वव्यापी बनीं। अहिंसा यात्रा की गूंज-अहमदाबाद में अहिंसा के पुनरूद्धारक आचार्य महाप्रज्ञ गुजरात की धरा पर उस समय अहिंसा-यात्रा का काफिला लेकर पहुंचे, जिस समय पूरा गुजरात साम्प्रदायिक विद्वेष की लपटों में झुलस रहा था। इस नाजुक स्थिति में आचार्य महाप्रज्ञ ने शांति स्थापन की वल्गा अपने हाथों थामी। व्यापक जन संपर्क के जरिये हर व्यक्ति के दिलों-दिमाग में प्रेम, सौहार्द, भाईचारे की आस्था कायम कर सकारात्मक सोच पूर्वक अहिंसा की शक्ति से परिचित किया। अहिंसा यात्रा के अहमदाबाद आगमन पर मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, सिन्धी आदि विभिन्न धर्मों से जुड़े लोगों के साथ गणमान्य नेता सह अहमदाबाद के महापौर श्री हिम्मत भाई पटेल ने स्वागत पूर्वक अहिंसा यात्रा की प्रासंगिकता व्यक्त की। अमन-चैन और शांति की आकांक्षा संजोए महापौर ने ‘की ऑफ सिटी' आचार्य महाप्रज्ञ के चरणों में समर्पित की। मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा-'गुजरात की धरती पर पूर्ण मनोयोग से स्वागत करता हूँ। आपके प्रवास से गुजरात को नई शक्ति मिलेगी, नया विश्वास पैदा होगा। अहिंसा यात्रा की विचार क्रांति से गुजरात की विचारधारा में बदलाव आएगा।' स्वागत समारोह में उपस्थित सभी चिंतनशील लोगों ने अहिंसा-यात्रा आगमन को शांति का वरदान माना। इस अवसर पर अहिंसा यात्रा नायक आचार्य महाप्रज्ञ ने सभी की चेतना को झनझनाते हुए, कुछ स्मरण करवाते हुए नई प्रेरणा का संचार किया। उन्होंने कहा-'आचार्य हेमचंद्र और महात्मा गांधी ने गुर्जर भूमि पर संवेदनशीलता की लहर पैदा की थी, गुजरात की पावन भूमि पर पुनः समता, संवेदनशीलता की चेतना जागे। गुजरात अहिंसा का निर्यात कर सकने की क्षमता प्राप्त करें। जिससे धर्म संस्कृति और मानव जाति का कल्याण हो सके।227 महाप्रज्ञ ने अहमदाबाद आगमन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए हिंसा के कारणों की खोज एवं उचित समाधान में अपनी शक्ति को नियोजित किया। गुजरात में हुए दंगों के संबंध में अहिंसा यात्रा प्रचेता ने टिप्पणी करते हुए समझाया-अगर आचार्य महाप्रज्ञ का अहिंसा में योगदान । 107
SR No.022865
Book TitleAndhere Me Ujala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaralyashashreeji
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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