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________________ आधुनिक हिन्दी - जैन साहित्य शिक्षा देकर व्यवहारिक एवं प्रत्युत् व्युत्पन्नमति की बनाई थी। बुलाकीदास जी ने अपनी माता जैमी की प्रशंसा में स्वयं लिखा है 64 हेमराज पंडित बसें, तियां आगरे में छाई, परम गोत्र आगरी, सब पूजें जिस पाई, उपगीता के दोहरा, जैमी नाम विख्याति, सील रूप गुन आगरी, प्रीति नीति की पांति । दीनी विद्या जनकने, कीनी अति व्युत्पन्न पंडित जामें सीख लें, धरनीतल में धन्न ॥ कविवर भूधरदास जी भी इस काल के प्रसिद्ध भक्त, प्रबन्धकार एवं मुक्तक कार हैं। उनके बनाये हुए तीन ग्रन्थ मिलते हैं - (1) पार्श्वपुराण (2) जैन शतक (3) पद-संग्रह । 'पार्श्व - पुराण'- में 23 में तीर्थंकर पार्श्वनाथ जी के जीवन का सुन्दर वर्णन किया गया है। यह एक स्वतंत्र और उत्कृष्ट कोटि का प्रबन्ध काव्य समझा जाता है। हिन्दी जैन साहित्य में यही एक सुन्दर, स्वतंत्र काव्य है। प्रेमी जी इस रचना के विषय में लिखते हैं कि - हिन्दी के जैन साहित्य में 'पार्श्व पुराण' ही एक ऐसा चरित्र ग्रन्थ है। जिसकी रचना उच्च श्रेणी की है, जो वास्तव में पढ़ने योग्य है और जो किसी संस्कृत - प्राकृत ग्रन्थ का अनुवाद करके नहीं, किन्तु स्वतंत्र रूप से लिखा गया है। इसकी रचना में सौन्दर्य तथा प्रासादिकता दोनों गुण भरे हुए हैं। सज्जन एवं दुर्जन के विषय में कवि का कथन देखिए उपजें एक ही गर्भ सो, सज्जन - दुर्जन येह, लोह कवच रक्षा करें, खाण्डो खण्ड देह । दुर्जन ओर सलेखया, ये समान जगमांहि, ज्यों-ज्यों मधुरो दीजिए, त्यों-त्यों कोप कराहिं ॥ जैन समाज में यह इतना प्रसिद्ध है कि वह दो बार छप चुका है। कविकीर्तिका यह एक सुदृढ़ कायमी स्तंभ हैं। इसी एक ग्रन्थ की रचना से भूधरदास जी एक भावुक एवं उत्कृष्ट कोटि के कवि प्रमाणित होते हैं। दूसरा ग्रन्थ 'जैन-शतक' नीति की सुन्दर रचना है, जिसमें 107 कवित्त, सवैये, दोहे और छप्पय है। प्रत्येक पद का स्वतंत्र अस्तित्व है, मौलिक भाव है। इसका प्रचार जैन समाज में अत्यन्त है। तीसरे ग्रन्थ 'पद संग्रह' में कवि के 80 पद-विनति, पूजा-अर्चना, सज्जायसम्बंधी - संग्रहीत है । एक पद की थोड़ी-सी पंक्ति में जीवन-जगत की नश्वरता का भाव देखिए 1. कामताप्रसाद जैन : हिन्दी जैन साहित्य का संक्षिप्त इतिहास, पृ० 172.
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
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