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________________ आधुनिक हिन्दी जैन साहित्य : पूर्व-पीठिका पुस्तक मिलना आसान नहीं है।" अर्द्ध-कथानक की नाथूराम प्रेमी की बम्बई-वाली आवृत्ति अन्य आवृत्तियों की अपेक्षा विशेष प्रामाणिक है। प्रेमी जी इस कृति के विषय में अपने इतिहास में लिखते हैं-यह ग्रन्थ उन्हें (कविवरजी को) जैन साहित्य के ही नहीं, सारे हिन्दी साहित्य के बहुत ही ऊँचे स्थान पर आरुढ़ कर देता है। इस दृष्टि से तो वे हिन्दी के बेजोड़ कवि सिद्ध होते हैं। + + + +हिन्दी में ही क्यों, हमारी समझ में शायद सारे भारतीय साहित्य में (मुसलमान बादशाहों के आत्म चरितों को छोड़कर) यही एक आत्म चरित है, जो आधुनिक समय के आत्म चरितों की पद्धति पर लिखा गया है।' कवि ने सर्वप्रथम शृंगार रस से ओत-प्रोत 'नवरस पदावली' की रचना की थी, लेकिन शान्त रस को महत्व देने वाले इस सुरुचिपूर्ण स्वभाव वाले कवि को ऐसी रचना लोकहित के लिए मान्य कहाँ ? उन्होंने इसे गोमती के जल-प्रवाह में डूबो दिया, क्योंकि लोक-कल्याण ही उनका परम उद्दिष्ट था। इसीलिए तो वे कहते है-'मेरे नेनन देखिए घट-घट अन्तर राम' कवि चाहते हैं कि अज्ञान की पट्टी को खोलकर, लोक-पराधीनता की श्रृंखला तोड़कर आत्म-स्वतंत्रता प्राप्त करने के उपरान्त ही परम सुख प्राप्त हो सकता है जब चेतन मालिम बजे, लखें पिपाक नजूम। डारे समता श्रृंखला, थके भंवर की घूम॥ इस प्रकार चेतना की जागृति को ही महत्व देने वाले कवि सचमुच ही क्रांतिकारी भी थे। इसीलिए कामताप्रसाद जी लिखते हैं-बनारसीदास जी एक महान क्रान्तिकारी सुधारक विश्व कवि थे। वह सारे विश्व की हितकामना के रंग में रंगे हुए थे। कविवर आतमराम को जागृत करने के लिए माया के बंधनों को कम करने के लिए कहते हैं-माया की संगति से सुख-प्राप्ति संभव कैसे? जैसे 'माया छाया एक है, घटे बढ़े छिन मांहि इनकी संगति में लगें, तिनहिं कही सुखवाहि॥ ज्यों काहू विषधर डसै, रुचि सों नीम चवाय। त्यों तुम माया सों मड़े, मगन विषय सुख पाय॥ पं० नाथूराम जी कविवर का परिचय देते हुए उचित ही लिखते हैं कि 'इस शताब्दि के जैन कवियों और लेखकों में हम कविवर बनारसीदास जी को 1. पं. नाथूराम प्रेमी-हिन्दी जैन साहित्य का संक्षिप्त इतिहास, पृ० 40. 2. आ. कामताप्रसाद जैन-हिन्दी जैन साहित्य का संक्षिप्त इतिहास, पृ० 112.
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
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