________________
36
आधुनिक हिन्दी-जैन साहित्य
हिन्दी की अपेक्षा विशेष प्राप्त होने से ही कामताप्रसाद जैन ने इस युग को 'आदिकाल या अपभ्रंश-प्राकृत 'काल' कहना अधिक उचित समझा है। अपभ्रंश भाषा की प्रधानता होने पर भी युग के अंतिम भाग में भाषा ने अपना रूप परिवर्तित करना शुरू किया था। बोलचाल की पुरानी हिन्दी शनैः शनैः साहित्य की भाषा का स्थान लेने लगी थी। भाषा के इस परिवर्तन में उस समय की ऐतिहासिक परिस्थितियों ने विशेष प्रभाव डाला, क्योंकि मुसलमानों का आक्रमण शुरू हो गया था और राजपूत राष्ट्र की एकता की अपेक्षा अपनी आन-बान पर-मिटते थे तथा पारस्परिक प्रतिद्वंद्विता में उनकी शक्ति क्षीण होती जा रही थी। संगठित होकर मुस्लिम आक्रमण कारियों को पीछे नहीं हटाया गया। वैसे इतिहास की चर्चा हमें यहां कतिपई अभिप्रेत नहीं। हम तो उस समय की राजकीय परिस्थितियों से भाषा और साहित्य पर कैसा प्रभाव पड़ा, उसका संक्षेप में निर्देश करना चाहते हैं।
___मुसलमानों ने यहां की अस्थिर राजकीय परिस्थितियों, हिन्दू राजाओं की निर्बलता, कुसंप व अपूर्ण वैभव देखकर यहीं स्थिर होना चाहा। अतः उन्होंने आक्रमण की लूट के वापिस जाने की अपेक्षा भारत में अपनी सत्ता जमाकर शासन स्थिर करना चाहा। इस कार्य में यहां के वातावरण ने भी उनकी सहायता की। तदनन्तर उनकी बोल-चाल की भाषा का प्रभाव यहां की भाषा पर पड़ना स्वाभाविक है। भाषा की तरह विषय पर भी प्रभाव स्पष्टतः पड़ता है। राजाओं की वीरता-कीर्ति व वैभव आदि के यशोगान में वीर शृंगार रस प्रधान रचनाएं इस युग में लिखी जाने लगीं। लेकिन जैन-साहित्यकारों ने जनहित को नज़र में रखकर तथा आध्यात्मिक रचनाओं का सृजन किया, जिनसे सामान्य पाठक को आनंद के साथ ज्ञान भी प्राप्त हो। गद्य:
पद्य की तरह गद्य का विकास अदिकाल में नहीं हुआ था, क्योंकि उस समय गद्य को साहित्यिक रूप ही प्राप्त नहीं हुआ था। गद्य तो आधुनिक काल की देन है। प्रारंभिक काल में मुद्रण के अभाव तथा कंठस्थ करने की सुविधा के कारण पद्य में ही प्रायः सृजन होता था। छन्द बद्ध होने से वह (पद्य) गेय भी होता था। इस काल में यदि गद्य के दो-चार उदाहरण मिलते हैं तो वे भी पद्य मिश्रित रूप में। साहित्य का आधार-माध्यम आधुनिक युग तक पद्य ही रहा। फुटकर गद्य बीच-बीच में थोड़ा बहुत मिल जाता हो तो भी वह साहित्यिक नहीं समझा गया। हां, जैन साहित्य में वैद्यक, ज्योतिष के ग्रन्थों में अपभ्रंश गद्य का रूप थोड़ा-बहुत देखने को मिलता है। 'जगतसुन्दरी प्रयोगमाला'