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________________ 34 आधुनिक हिन्दी-जैन साहित्य सब कुछ आ गया है, यहां तक कि जो यहां है, वह अन्यत्र नहीं है। पंडितवर्य राहुल देव सांस्कृत्यायन तो महाकवि पुष्पदत्त से अत्यंत प्रभावित हुए हैं और उनके साहित्य का गहन अध्ययन किया है। 'नागकुमार चरित' और 'यशोधर चरित' भी उनकी प्रसिद्ध रचनाएं हैं। महाकवि को मानो सरस्वती माता का वरदान प्राप्त था। उन्होंने काव्य के सभी अंगों का प्रतिपादन करते हुए कथा-प्रवाह में बाधा पैदा किये बिना बीच-बीच में धर्म की चर्चा भी की है। धर्म का स्वरूप स्पष्ट करते हुए मार्मिक उक्ति देखिए 'पुच्छिय चम्मु जईवज्जरह जो सयलहं जीवाह दय करइ। जो अलिय पयं पशु परिहरइ, जो सच्च सउच्चे रह करइ॥ अर्थात् 'धर्म क्या है?' प्रश्न के उत्तर में यति महाराज ने कहा कि-धर्म वही है, जिसमें सब जीवों पर दया की जाय और अलीक वचन का परिहार करके जहां सुन्दर सत्य सम्भाषण में आंनद मनाया जाय। इसी शती में मुनि रामसिंह का 'दोहापाहुड' ग्रन्थ उपलब्ध होता है, जिसकी भाषा शुद्ध अपभ्रंश है। एक उदाहरण द्रष्टव्य है मूड़ा देह म रज्जियड देहण अप्या होई। देहहिं मिण्ण्उ णाणमउ सो तुहुं अप्या जोई॥ महाकवि धवल भी 10वीं शताब्दी के विद्वान कवि हैं और 'हरिवंश पुराण' ग्रन्थ में तीर्थंकर अरिष्टनेमि, महावीर और महाभारत की कथा वार्णित है। इसी युग के कवि पद्मदेव अपने 'पासहचरिऊ' में तीर्थंकर पार्श्वनाथ का चरित्र गुंफित करते हैं। ___11 वीं शती के प्रमुख कवियों में कवि धनपाल तथा मुनि श्रीचन्द जी तेजस्वी कवि रत्न हैं। मुनि श्रीचन्द ने छोटी-छोटी रोचक कथाओं से पूर्ण एक 'कथाकोष' बोधगम्य शैली में लिखा है। अपभ्रंश का ग्रन्थ होते हुए भी इसकी भाषा प्राचीन हिन्दी के बहुत निकट जान पड़ती है-यथा __ "षण्ण वेष्पिणु बिण सुवि सुद्धमई, चिंतई मणि मुणि सिरि चन्दकई संसार असार सवु अथिरा, पिय, पुत्त, मित्त माया तिमिए चन्द का। तत्कालीन कथा-साहित्य एवम् भाषाकीय दृष्टिकोण से इस ग्रन्थ का काफी महत्व है। विरहिणी के वर्णन में कवि श्रीचन्द जी लिखते हैं एक ही अविर्खहिंसावणुं अन्न हि मदव ऊ। माहन महिअल सस्थरि गण्उथले सरऊ॥ 1. द्रष्टव्य-नथमलमुनि-जैन धर्म और दर्शन-पृ. 107. 2. द्रष्टव्य-कामताप्रसाद जैन-हिन्दी जैन साहित्य का संक्षिप्त इतिहास, पृ. 50.
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
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