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आधुनिक हिन्दी - जैन साहित्य
'महाराज कुछ देर वे क्रुद्ध दृष्टि से देखते रहे उसकी ओर। फिर सहसा उनकी मुखाकृति सौम्य होती गई ।
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सोचने लगे - ' पाप । बड़ा शक्तिशाली है तू । एक क्षण में कुछ का कुछ कर सकता है, एं? और दुनिया में रहकर तुझसे बचना भी तो आसान नहीं है हर किसी को ? तब ?
पाप के भय ने महाराज के मुँह को म्लान कर दिया। वे चिंतित से, दुःखित से उस विलास - भवन में चहलकदमी करने लगे, जहाँ कुछ समय पहले आनंद की हंसी हंस रहे थे। क्षण-भंगुर विश्व !! अनायास महाराज के मुंह से निकला-'पाप बुरा है।"
जीवन को सफल बनाने की कुंजी रूप विचारों को भी कभी भगवत की कथा शैली में है - 'आत्म बोध' । कहानी के प्रारंभ का अंश देखिए या प्रतिज्ञापालन' का शीर्षक वाक्य देखें - ' वे सब बातें कीजिए। जिन्हें आत्मोन्नति के इच्छुक काम में लाया करते हैं। दिन-रात ईश्वराधन, दया-दान, स्वाध्याय, आत्मचिंतन और कठिन व्रतोपवास करते रहिए । लेकिन तब तक वह 'सब कुछ' नहीं माना जा सकता, जब तक कि 'आत्म बोध' प्राप्त न हो जाय। '
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'दृढ़ता और निष्ठापूर्वक जो भी कार्य किया जाता है, चाहे छोटा हो या बड़ा, उसका फल अवश्य प्राप्त होता है। भगवत जैन की भाषा शैली इतनी मधुर, भाव प्रवण और रोचक है कि छोटी-छोटी कथाओं में भी वे सुन्दर विचार, भाव भर देते हैं और पाठक को पढ़ने के लिए मजबूर कर देते हैं - ' इस अपार संसार में माता-पिता तथा अन्य हितू से हितू भी कोई सुखी नहीं रख सकते - केवल अपनी अच्छी-बुरी 'करनी का फल' ही जीवन मार्ग में पाथेय है । ' ' भगवत जैन को 'मानवी' संकलन में भाषा, भाव, कथोपकथन और चरित्र-चित्रण की दृष्टि से पर्याप्त सफलता प्राप्त हुई है। पुराने कथानकों को सजाने-संवारने में कलाकार की कला निखर गई है। सभी कहानियों का आरंभ उत्सुकता पूर्ण ढंग से हुआ है। कहानियों में रहस्य का निर्वाह भी उत्सुकता जागृत करने में सक्षम है। विशेषतः तीव्रतम स्थिति (climax) ज्यों-ज्यों निकट आती है, कहानी में एक अपूर्व वेग का संचार होता है, जिससे प्रत्येक पाठक की उत्सुकता बढ़ती जाती है। यही है भगवत जी की कला, उन्होंने परिणाम
1. भगवत जैन - विश्वासघात कथा संग्रह, पृ० 66 ( कहानी का फल ) ।
2. भगवतजैन - पारस - कहानी संग्रह - आत्म बोध कथा, पृ० 52.
3. वही प्रतिज्ञापालन, पृ० 75.
4. वही चरवाहा, पृ० 103.
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