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________________ आधुनिक हिन्दी-जैन-गद्य साहित्य : विधाएँ और विषय-वस्तु 329 होने से वे जैन धर्म के प्रति आस्थावान हो गये। बाद में निरन्तर उनकी श्रद्धा होती रही और वे तेजस्वी रणवीर राजवी के साथ निष्ठावान जैनी भी बने रहे। (7) सम्यकत्व चूडामणि हुल्ल : राजा रायमल्ल के मंत्री चामुण्डराय, और विष्णुवर्धन के सेनापति गंगराज के समान नरसिंह देव के महामंत्री हुल्ल जैन धर्म के सच्चे पोषक थे। वे बड़े ही शूरवीर व कुशल मंत्री थे। उनकी पत्नी जैन धर्म की सच्ची आराधिका थी। उनकी इच्छा व आग्रह से सेनापति हुल्ल ने दो जैन मंदिरों का तथा यात्राश्रमों का निर्माण करवाया। (8) वीरांगना सावियव्वे : दक्षिण भारत के किसी एक सामान्य घराने की बहू सावियव्वे दक्ष गृहिणी के साथ-साथ वीर नारी भी थी और धार्मिक भी उतनी ही थी। नित्य-प्रति मंदिर में पूजन अर्चन करती थी। एक बार नगर पर दुश्मनों का हमला होने पर पति के साथ लड़ते-लड़ते वीर गति को प्राप्त करती है। उस वीरांगना की वीर स्मृति में एक 'वीर गल' (मूर्ति या स्तंभ) का निर्माण किया गया। (9) सती सुन्दरी : श्रावस्ती के जैन धर्मानुयायी राजपूत सहृद ध्वज ने महमूद गजनवी के आक्रमण को अपने नगर से दूर हटा दिया था। उसके छोटे भाई की पत्नी सती सुन्दरी को जैन धर्म पर अनन्य श्रद्धा थी। गौड़ जिले के लोग आज भी सती सुन्दरी के शील व चरित्र्य की प्रशंसा करते थकते नहीं हैं। उसके जेठ ने उसकी लाज लेनी चाही तो अपना प्राण देकर भी जिनदेव का स्मरण करती हुई वह शील की रक्षा करती है। इस प्रकार 'नवरत्न' ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण न हो, लेकिन जैन इतिहास में जिनकी वीरता, धीरता व अनन्य श्रद्धा-भक्ति महत्वपूर्ण है, अमर है, ऐसे व्यक्तियों का परिचय रोचक कथा के द्वारा कामता प्रसाद जी ने सरल भाषा शैली में करवाया है। साथ ही अलंकार रहित सीधी-सादी भाशा में जैन धर्म की महत्ता प्रतिपादित करने के अपने उद्देश्य में भी वे बहुत अंशों में सफल हुए हैं। पंचरत्न : यह भी कामता प्रसाद जी का कथा-संग्रह है, जिसमें उन्होंने पाँच महान् जैन धर्म प्रेमी चरित्रों की कथा रोचक शैली में आलोकित की है। इनकी संक्षिप्त कथा-वस्तु निम्नलिखित है
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
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