SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 347
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आधुनिक हिन्दी-जैन-गद्य साहित्य : विधाएँ और विषय-वस्तु 323 का भार पाठकों के ऊपर छोड़ दिया है। उनकी भाषा-शैली पर प्रकाश डालते हुए डा. नेमिचन्द्र जी आगे लिखते हैं-कलाकर ने पात्रों का चरित्र-चित्रित करने में अभिनवात्मक शैली का प्रयोग किया है, जिससे कथाओं में जीवन्तता आ गई है। तर्कपूर्ण और तथ्य विवेचनात्मक शैली का प्रयोग रहने पर भी सरसता कथाओं की ज्यों की त्यों है। चलती-फिरती भाषा के प्रयोग ने कहानियों को सरल व बुद्धि ग्राह्य बना दिया है। प्रसिद्ध विद्वान् एवं जैन साहित्य के इतिहासकार पं. नाथूराम 'प्रेमी' भगवत जी के विषय में लिखते हैं-इसमें संदेह नहीं कि जैन समाज में कहानी लेखकों का अभाव है और आप इस रिक्त स्थान को भरने का प्रशंसनीय प्रयत्न कर रहे हैं। आपको मैं हृदय से उन्नति चाहता हूँ। उसी प्रकार इसी संकलन में जैन साहित्य के प्रसिद्ध विद्वान् पं० जुगलकिशोर जी 'मुख्तार' ने लिखा है कि-श्रीयुत भाई भगवत् स्वरूप जी जैन-समाज के एक अच्छे कहानी लेखक और कविता लेखक हैं। आपकी कहानियाँ एवं कविताएं प्रायः रोचक तथा शिक्षाप्रद होती हैं। पुरानी कहानियों को नया लिबास पहनाने में आप कुशल हैं। लिखते भी बहुत हैं, जैन समाज का शायद ही ऐसा कोई पत्र हो, जिसमें आपकी कविता या कहानी प्रकाशित न होती हो। इस प्रकार छोटी-छोटी पावन घटनाओं के आधार पर से भगवत जी ने अत्यन्त ही रोचक शैली में ज्ञान के साथ आनंदप्रद कहानियाँ जैन साहित्य को भेंट की हैं। कथा और पात्रों की विचारधारा के द्वारा अप्रत्यक्ष धार्मिक विचारधारा रही होने से पाठक कहीं भी उपदेशक की नीरसता महसूस नहीं करता। कथा-साहित्य में हार्दिकता एवं साहित्यिकता का भी पूरा-पूरा निर्वाह किया गया है। विद्वान लेखक अयोध्या प्रसाद गोयलीय जी ने 'गहरे पानी पैठ' में 118 छोटी-छोटी पर मार्मिक चिंतन व ज्ञान प्रद कहानियाँ रसात्मक.शैली में लिखी हैं। छोटी कथावार्ता, चिंतन कणिका, कहावतों, अनुभवों का रोचक संग्रह तैयार किया है, जिसको उन्होंने तीन विभागों में विभक्त किया है-(1) बड़े जनों के आशीर्वाद से-जिसमें 55 कहानी, आख्यान, संस्मरण एवं चुटकुले हैं। (2) इतिहास जो पढ़ा-इसमें 47 कथाएं हैं (3) जिसे कि आंखों से जो देखा-इसमें 1. डा. नेमिचन्द्र जी : हिन्दी जैन साहित्य का परिशीलन, पृ. 101. 2. डा. नेमिचन्द्र जी : हिन्दी जैन साहित्य का परिशीलन, पृ. 102. 3. द्रष्टव्य-उस दिन-कथा संग्रह-स्नेह शब्द, पृ० 13. 4. उस दिन-कथा संग्रह-स्नेह शब्द, पृ. 10.
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy