________________
322
आधुनिक हिन्दी-जैन साहित्य
अत्यन्त सताये जाने पर भी रात्रि भोजन-त्याग के व्रत का पूर्ण पालन करती है। परिणामस्वरूप आगे वह सुख-समृद्धि को प्राप्त करती है। मानव जीवन को सुखी व संपन्न बनाने के लिए व्रत, संयम, त्याग का अत्यन्त महत्व है। _ 'मातृत्व' में शीर्षक के मुताबिक निस्वार्थ सच्चे मातृहृदय का परिचय प्राप्त होता है। एक बालक पर समान रूप से अधिकार व स्नेह जतलाने वाली दो स्त्रियों में वसुदत्ता के समक्ष एक ओर अपार धन-वैभव तथा दूसरी ओर बच्चे का प्रश्न खड़ा होता है तो वह धन-संपत्ति को स्वीकार करना चाहती है, तब असली मां अतुल वैभव को ठुकरा कर पुत्र को अपनाती है। यहीं पर दोनों के हृदय के जमीन-आसमान का अन्तर प्रकट होता है।
'चिरजीवी' सती के तेज एवं गौरव की अभिव्यंजना व्यक्त करती कथा है। प्रभावती अपने सतीत्व से अनेक कष्टों एवं दु:खों में से रास्ता करती हुई दुष्टों को अपनी शक्ति का परिचय देती है। उसके सतीत्व के प्रभाव से देवों के विमान भी रुक जाते हैं, और वे सती की अटलता, पवित्रता देख उसे हर प्रकार से सहाय करते हैं। अन्त में इस महान नारी के कर्म के प्रभाव से सभी उसका यशोगान करते हैं तथा सतीत्व का प्रकाश चारों ओर फैल जाता है।
_ 'अनुगामिनी' में स्त्री-पुरुष के धर्म-पथ पर अनुगामिनी बनकर उज्ज्वल आदर्श हमारे सामने प्रस्तुत करती है। जब बज्रबाहु की भोग-लिप्सा तथा विषयवासना मुनिराज के दर्शन मात्र से शांत होकर अदृश्य हो जाती है, तो वह मुनिराज के चरणों में बैठकर वैराग्य का महत्व समझ प्रिय पत्नी और वैभव का त्याग कर देता है, तब उसके चेहरे पर विराग की उज्ज्वल आभा चमक उठती है। अपने पति को विरक्त होते देख मनोरमा भी पति और भाई के मार्ग का अनुसरण करती है। उसका भाई बहनोई के उत्कृष्ट अनुराग के पश्चात उच्च वैराग्य को देख संसार की अनित्यतता अनुभव कर उसी समय मुनि बन जाता है। उन दोनों के संयम-त्याग से अभिभूत हो मनोरमा भी अनुगामिनी बनती है। भगवत जी ने इसी कथानक पर आधारित एक एकांकी की रचना भी की है।
'मानवी' संकलन में भाषा, भाव, कथोपकथन और चरित्र-चित्रण की दृष्टि से लेखक को पर्याप्त सफलता मिली है। पुराने कथानकों को सजाने और संवारने में कलाकार की कला निखर गई है। सभी कहानियों का आरंभ उत्सुकतापूर्ण रीति से हुआ है। कहानियों में रहस्य का निर्वाह भी उत्सुकता जागृत करने में सक्षम है। विशेषतः तीव्रतमस्थिति (climax) ज्यों-ज्यों निकट आती है, कहानी में एक अपूर्व वेग का संचार होता है, जिससे प्रत्येक पाठक की उत्सुकता बढ़ती जाती है। यही है भगवत की कला, उन्होंने परिणाम सोचने