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________________ आधुनिक हिन्दी-जैन-गद्य साहित्य : विधाएँ और विषय-वस्तु 321 उत्साह, श्रद्धा, करुणा, प्रेम एवं सात्त्विक भावों की अभिव्यंजना करने में काफी सक्षम है। इस संकलन में जो छः कहानियाँ नारीत्व, अतीत के पृष्ठों से, जीवन पुस्तक का अंतिम पृष्ठ, चिरंजीवी और अनुगामी हैं, उनका आधार प्राचीन कथाग्रन्थ पद्मपुराण, सम्यकत्व-कथा-कौमुदी, श्रेणिक-चरित और पुण्याश्रवकथाकोष आदि रहे हैं। नारी के आत्म विकास के लिए सहायक प्रेरणा रूप इन कहानियों का अत्यन्त महत्त्व है। 'नारीत्व' कहानी में नारी के सतीत्व एवं उत्साह का अपूर्व महात्म्य दिखलाया गया है। अयोध्या के महाराज मधूक की महारानी की धीरता की स्वर्णिम झलक, साहस, कर्तव्य परायणता, पतिव्रता का तेज एवं सतीत्व के गौरव को बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। जब राजा मधूक दिग्विजय के लिए गमन करते हैं, तभी पीछे से दुष्ट राजाओं का आक्रमण होता है। उस समय महारानी देश-स्वातंत्र्य की महत्ता अनुभव कर स्वयं रणांगण में उपस्थित घमासान युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे कर देती है और विजय प्राप्त कर बता देती है कि नारी अबला नहीं है, वक्त आने पर किसी भी योद्धा से कम सबला नहीं है। स्वदेशगमन के बाद राजा को इस समाचार से प्रसन्नता के स्थान पर असूया, जलन पैदा होती है, और रानी को प्रासाद से बाहर कर देते हैं। तत्पश्चात् महाराज को दाह-रोग होता है, जो सैकड़ों उपचार के बावजूद भी शान्त होता नहीं है। अन्त में सती महारानी की अंजुली के पानी के छींटों से रोगमुक्त होता है। नारी के दिव्य तेज के सामने अहंकारी पुरुष को झुकना पड़ता है। उसके अहं के समक्ष नारी की कोमल प्रकृति की जीत हुई। महाराज को महारानी की महत्ता प्रतीत हुई। 'अतीत के पृष्ठों से' कहानी में भी नारी के विविध रूप एवं स्वभाव का दिग्दर्शन कराया गया है। जिनदत्ता के उदार व धार्मिक हृदय के प्रकाश के सामने स्वयं देवी को भी झुकना पड़ता है। अन्त में घातक, क्रूर, ईर्ष्यालु हृदयवाली मां की लाड़ली पुत्री कनकश्री का देवी के कुण्ठित खड्ग से ही वध हो जाता है। कनकधी की ईर्ष्यालु मां का पाप प्रकट होने पर उसे दण्ड दिया जाता है। क्योंकि सत्य छिपाने से छिपता नहीं। लाख मिथ्या प्रचार करने पर या आवरण डालने पर भी सच्चाई प्रकट हुए बिना नहीं रहती। इस कहानी में हृदय को स्पर्शने की अजब ताकत है। घटना चमत्कार इतना विलक्षण है कि पाठक रसमग्न हुए बिना नहीं रहता। 'जीवन का अंतिम पृष्ठ' कहानी में रात्रि-भोजन त्याग का विशद महात्म्य अंकित किया गया है। एक छोटी जाति की लड़की अपने कुटुम्बियों द्वारा
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
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