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________________ 208 आधुनिक हिन्दी - जैन साहित्य शाल दुशाला दुपट्टा सुंदर, विध-विध दुष्यक रंगित अम्बर । सेनापति पहेरावनी किन्हीं, प्रेम समेत बरातीन लिन्हीं ॥। 3- 2921 हेमरवत थाली अरु थाला, दिये कटोरि सुन्दर प्याला । मुगट प्रमुख आभरण अनेका, कटी सूत्र मनिजड़ित सुनेका ॥ 294 इसी प्रकार कवि ने वर्द्धमान के दीक्षा- उत्सव में नगर व राजमहल में की गई सजावट का, दान- प्रवाह, गगन में पुष्प वृष्टि तथा देवों के विविध विमान एवं साज-सज्जा का कवि ने यथोचित् वर्णन किया है। ऋजुवालिका नदी, संध्या, सूर्योदय, पर्वत, महल आदि का भी कवि ने यथा प्रसंग वर्णन कर परम्परा का निर्वाह्न किया है। इन वर्णनों में आश्रम व उपवन के वर्णनों में कहीं-कहीं पुनरावर्तन व नाम - परिगणन की प्रवृत्ति भी दृष्टिगत होती है, जिससे वर्णन में आकर्षकता या प्रसन्ता का अनुभव न होकर नीरसता पैदा होती है। इस नाम परिगणन की प्रवृत्ति से कवि बच पाये होते तो वर्णन में रोचकता भर जाती। वर्द्धमान दीक्षा के समय रत्नजड़ित पालकी में बैठकर ज्ञातखण्ड वन में आते हैं, तब सभी प्रकार के पेड-पौधें व पक्षियों का कवि ने सम्मिलित वर्णन किया है। महावीर के सत्कार के लिए प्रकृति में चारों ओर आनंद-उल्लास छा गया है, पक्षीगण भी अपने आनंद की अभिव्यक्ति भिन्न-भिन्न तरीके से करते हैं सब मिलि ज्ञातखण्ड उपवन में, आई सवारी गाढ़ वृक्षन में । अर्जुन, केल, कदम्ब, तमाला, सीषम, साग, अशोक, रसाला ॥ 432॥ नारियल, वटवृक्ष विशाला, जमरूख, सीताफल तरुवाला ॥ नारंगी दाड़िम द्राक्षादि, पुंगी अंगी लविंग लतादि ॥ 3-433॥ चन्दन, एलची, केतकी, केरे, चम्पक, नीम्बू खजूरी घनेरे । आमल, जाम्बू, किंशुक वृक्षा, निज शोभा से खींचत लता ॥ इतने सारे पेड़-पौधे एक ही स्थल पर संभव हो या नहीं, यह भिन्न बात है। लेकिन कवि इसे 'नंदनवन' से भी उत्कृष्ट अवश्य बताते हैं नंदनवन इनको कह देना, कहत कविजन कीर्ति घनेरी । यह तो सम है ही कहना, और साम्य इनको ही लगेना ॥ इसी प्रकार प्रथम काण्ड में कवि पुष्पकरंडक बाग में विश्वभूति राजकुमार एवं उनकी रानियों के वसन्त ऋतु के विविध - आनंद-प्रमोद के वर्णन में भिन्न-भिन्न पुष्पों की सूची उपस्थित करते हैं- -यथा सुकीरचंच वकशा, दियंत किंशुका यथा । सुजूह जाई मालती, लहेंकती सुराई में ॥
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
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