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________________ आधुनिक हिन्दी जैन काव्य : विवेचन 199 ग्रहन करो संयम शिर भारा, सब सिद्धों को नमन हमारा। सम्यक् जीवन में हि बरतहूँ, अंगिकार चारित्र करत हूँ। -तृतीय सर्ग पृ० 250 सर्वप्रथम प्रमुख रस शान्त रस की चर्चा करेंगें। तदुपरान्त अन्य गौण रसों पर विचार होगा। शान्त रस : __ संपूर्ण 'वीरायण' महाकाव्य में शान्त रस की प्रधानता है क्योंकि नायक महावीर करुणा एवं क्षमा की साक्षात् मूर्ति हैं। अनेक कष्टों के बावजूद भी धीर-अडिग महावीर अपने ध्यान-तपस्या से चलायमान होने वाले नहीं हैं। कठिन कष्टों को शान्ति से सहते हुए चिन्तन-मनन के बाद 'उच्चगुणस्थान' पर पहुँच कर 'केवल ज्ञान' प्राप्त करने के प्रसंगों में शान्त रस का अच्छा चित्रण हुआ है। कवि ने भक्तिभाव से प्रेरित होकर ही इसकी रचना की है। अतः स्वाभाविक है कि शान्त रस के लिए आवश्यक भक्ति, स्तुति-वंदना, चिन्तन, दीक्षा-प्रसंग, उपदेश आदि का वर्णन तो रहेगा ही। करुणा-सागर महावीर से सम्बंधित कितनी ही घटनाओं में शान्त रस की प्राप्ति होती है। हां, अनूप शर्मा के 'वर्द्धमान' महाकाव्य की तरह यह चिन्तन प्रधान न होकर पूर्णतः चरित प्रधान है। अतः कुमार वर्द्धमान की गंभीर व गहन चिन्तन पद्धति और दार्शनिकता का सर्वथा अभाव है या कवि ने स्वयं महावीर के द्वारा उनकी चिन्तन-प्रणाली को अभिव्यक्ति नहीं दी हैं। फलस्वरूप शान्त रस की चरम व तीव्र परिणति यहाँ उपलब्ध नहीं होती, बल्कि शान्त रस का सामान्य प्रवाह बहता है। वर्द्धमान के जन्म-समय व देव-देवी आनन्द-उल्लास से दर्शन करने आते हैं तीर्थकर दर्शन हिते, उमटे अगण विमान। वर्षा बादल करत जिमि, अम्बर आच्छादान।। 3-118।। प्रभु को जन्म देनेवाली माता को भी धन्य है, क्योंकि त्रिशला देवी चरन को, कर प्रदक्षिणा तीन। बंदी स्तुति करने लगे, वासव परम प्रवीन॥ 3-123।। जय जय मातु वसुधा तुल्या, रत्नाकर त्रिशला अनुकूला। धन्य धरातल जनम तुम्हारा, तीर्थंकर जिन उदर पधारा।। 3-128।। वर्द्धमान ने जैन दीक्षा अंगीकार करने का निश्चय किया तो अपना सब कुछ न्यौछावर करने लगे पावत दान मान कोउ हस्त, न जावे सो रीति फली। विचरत वर्द्धमान जहाँ जावे, परत दृष्टि धन दिसत सुहावे।। 3-382॥
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
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