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________________ 152 आधुनिक हिन्दी-जैन साहित्य तथाकथित प्रबंधकाव्य इस युग में काफी लिखे गये हैं, लेकिन सफल और उत्कृष्ट प्रबन्ध काव्य की संख्या मर्यादित है। आधुनिक युग की व्यस्तता एवं यांत्रिक, गतिशीलता के कारण संपूर्ण जीवन क्रम की कलात्मक अभिव्यक्ति की संभावना कम ही है। आधुनिक युग में केवल तीन महाकाव्य ही उपलब्ध होते हैं, जिनमें एक 'सुघेश' रचित 'परम ज्योति महावीर' का तो केवल उल्लेख ही प्राप्त होता है। अन्य दो में एक यशस्वी महाकवि अनूप शर्मा का 'वर्द्धमान' है तथा दूसरा कविवर मूलदास नीमावत का 'वीरायण' महाकाव्य है। वर्द्धमान : ('मूर्ति देवी पुरस्कार' से पुरस्कृत महाकाव्य) इस महाकाव्य की रचना अनूप जी ने सन् 1951 ईस्वी में की थी। जो अनेक दृष्टियों से महत्वपूर्ण है तथा जिसका गौरवपूर्ण स्थान न केवल हिन्दी-जैन-साहित्य में ही है, बल्कि समस्त हिन्दी-महाकाव्य संसार में भी है। कथा वस्तु : महाकवि हरिऔध जी के 'प्रिय-प्रवास' महाकाव्य की शैली पर रचित इस महाकाव्य की कथावस्तु, चरित्र-चित्रण, रस-वर्णन दर्शनादि को देखने की चेष्टा करेंगे। सर्वप्रथम कथा वस्तु और उसकी न्यूनता-विशेषता देखी जायेगी-क्योंकि इसी की नींव पर महाकाव्य का प्रसाद अवलंबित और सुशोभित होता है। सत्रह सर्गों में विभक्त इस काव्य में भगवान महावीर के पूर्वजन्मों, जन्म से लेकर केवल ज्ञान की प्राप्ति के बाद सम्प्रदाय के निर्माण तक पूरे जीवन को कवि ने गुम्फित किया है। हां, यह बात इसमें अवश्य है कि कथा वस्तु का सूत्र-तंतु इतना सूक्ष्म है कि वह वर्णनों की जाल में फंस जाता है या उलझा रहता है और पाठक उस डोर को आसानी से पकड़कर महाकाव्य के चरम लक्ष्य रूप रस प्राप्ति कठिनता से कर पाता है। प्रथम सर्ग में कवि संस्कृत परिपाटी अनुसार कथावस्तु-सूचन, वंदना न कर देश-गौरव-गान करते हैं। भारत भूमि की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कवि ने अपनी उत्कट देश-भक्ति का परिचय दिया है। कुण्डनपुर की धरती जो महाकाव्य के उदात्त चरित नायक के जन्म के कारण पवित्र व धन्य बन गई है, उसकी महिमा वर्णित करते हुए, समग्र रूप से भारत वर्ष का गौरवगान कवि गा उठते हैं समुच्च आदर्श विधायिनी अहो। प्रसिद्ध है भारत सर्व विश्व में। यहां महाभंग मयी प्रभा लिये। सुधर्म साम्राज्य सदैव सोहता॥
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
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