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जैन धर्म में सामाजिक चिन्तन
407 तुलनीय-चातुर्वर्ण्य मयासृष्टं गुणकर्म विभागशः। गीता 4/13
महाभारत, शन्तिपर्व, 189/4-5, वराङ्गचारितम् 25/11 8. महापुराण 38/7-20, हरविंश 11/105, पद्यपुराण 5/195 । 9. गोकुलचन्द्र जैन-यशस्तित्रक का सांस्कृतिक अध्ययन, पृ० 60। 10. द्विजाती हि द्विजन्मेष्टः क्रियातो गर्भतस्य यः।
क्रिया मंत्रीविहीनस्तु केवलं नाम धारकः। महापुराण 38/48 द्विजे के अन्तर्गत ब्राह्मण, क्षत्रिय तथा वैश्य आते हैं। मनु 10रु4, याज्ञवल्क्य 1/10,
वायु पुराण 59/21, ब्राह्मण पुराण 2/32/221 11. जगदीशचन्द्रजैन, जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, पृ० 224-2251 12. क्षत्रात् त्रायत इत्यासीत् क्षत्रोऽयं भरतेश्वरः। महापुराण 44/30, पद्य 3/561 13. क्षत्रियाः शस्त्रजीवित्वमनुभूय तदाभवन्। महापुराण 16/184 । 14. महापुरण 42/131 15. ये तु श्रुताद् द्रुतिं प्राप्ता नीचकर्म विधायिनः।
शूद्रसामवायुस्ते भेदैः प्रेष्यादिभिस्तथा। पद्यपुराण 3/28, हरिवंश, 9/39। 16. आचारांग सूत्र द्वितीय (122)। 17. आपस्तम्ब धर्मसूत्र 2/9/21/1, गौतम धर्मसूत्र 3/2, वशिष्ठ धर्मसूत्र 7/1-2, पी०वी०
काणे-हिस्ट्री ऑफ धर्मशास्त्र, भाग-2, खण्ड-1, पृ० 417-418 । 18. पी०एन० प्रभु, हिन्दू सोशल आर्गनाइजेशन पृ० 78। 19. वही, पृ० 83। 20. मनु० 3/77, यथा वायुं समाश्रित्व वर्तन्ते सर्व जन्तवः।
तथा गृहस्थमाश्रित्य वर्तन्ते सर्व आश्रमाः।। 21. एस०एन०राय पौराणिक धर्म एवं समाज, 1968, पृ० 2221 22. सूत्र कृतांग 2/24/1/8 । 23. सूत्र कृतांग 1/2/3/2। 24. महापुराण 42/179-191। 25. महापुराण 38/43, पद्यपुराण 109/80-81। 26. पद्यपुराण 11/2011 27. महापुराण 65/791 28. गायत्री वर्मा-कालिदास के ग्रन्थः तत्कालीन संस्कृति 1963 पृ० 81। 29. आश्वलायन गृहसूत्र 1/6! बौधायन धर्मसूत्र 1/11 : गौतम 4/6-13, याज्ञवल्क्य
1/56-61। कौटिल्य 3/1/5, मनु० 3/21, विष्णुस्मृति 24/17-18, विष्णुपुराण 3/10/24,
विष्णुधर्मोत्तर पुराण 24/18/19। 30. जगदीशचन्द्र-जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज 1965, पृ० 253 ।