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श्रमण-संस्कृति चार अर्थ सत्य (1) दुःख (2) दुःख समुदाय (3) दुःख निरोध (4) दुःख निरोध गामिनी प्रतिपद।। (1) सम्यक दृष्टि - का आशय है नीर-क्षीर विवेकी दृष्टि अर्थात् चार
__ आर्थ सात्यो की सही परख और समझ। (2) सम्यक वचन - असत्य छोडकर सदा सत्य बोलना। (3) सम्यक संकल्प - भौतिक वस्तुओं तथा दुर्पभावना का त्याग की
प्रतिज्ञा करना। (4) सम्यक कर्मान्त - सदैव सत्यकर्म करना। (5) सम्यक आजीव - ईमानदारी और नैतिकता के माध्यम से आजीविका
कमाना। (6) सम्यक व्यायाम - शुद्ध, शुभ एवं उचित विचार ग्रहण करना। (7) सम्यक स्मृति - मन वचन, तथा कर्म की प्रत्येक क्रिया प्रति सचेत
रहना। (8) सम्यक समाधि - चित्त की एकाग्रता पर ध्यान देना। दस शील (1) अहिंसा (2) सत्य (3) अस्तेय चोरी न करना (4) अपरिग्रह - अधिक संग्रह न करना। (5) ब्रह्मचर्य-व्यभिचार न करना। (6) नृत्य गानादि का त्याग करना। (7) सुगध मालादि का त्याग (8) असमय में भोजन न करना। (9) कोमल विस्तर का त्याग करना। (10) कामिनी कंचन का त्याग (कुविचारों का) तथा सम्पूर्ण जगत में ध्वनित हो रहा है।
बुद्धम् शरणम् गच्छामि धम्मम् शरणम् गच्छामि संघम शरणम् गच्छामि