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कलचुरि काल में बौद्ध धर्म है। कुछ अन्य तारा देवियों का भी उल्लेख है जो महतरितारा, वरदतारा, अष्टमहाभयतारा, हरिततारा, शुक्लतारा, पीततारा, कृष्णतारा, रक्ततारा, दुर्गोतारिणी तारा वज्रतारा आदि हैं।'' द्वितीय पृथ्वीदेव के कोनी अभिलेख में बौद्धों के त्रिरत्न बुद्ध, धम्म एवं संघ का उल्लेख है। इसके लेखक कासल कई शास्त्रों के ज्ञाता तथा आगमों के व्याख्याकार था।” (तंत्र साहित्य को आगम के नाम से जाना जाता है)। बौद्ध सम्प्रदाय के तीन सिद्धान्तों की चर्चा द्वितीय रत्नदेव के अकलतारा पाषाण अभिलेख में होती है। प्रथम जाजल्लदेव के रत्नपुर अभिलेख में दिंड़नाग के ग्रंथ की चर्चा है।' दिंड़नाग ने प्रमाण सम्मुचय नामक ग्रन्थ लिखा था। कलचुरिकालीन अनेक शिल्पकृतियां भी बौद्ध धर्म का प्रतिनिधित्व करती हैं। कलचुरिकालीन कुछ ईंटों तथा सिक्कों पर अंकित त्रिरत्न चिन्ह उस समय प्रचलित बौद्ध धर्म का जीवंत प्रमाण है। भेड़ाघाट से 05 कि० मी० दूर गोपालपुर नामक ग्राम से पांच प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं, जिनमें से चार बौद्धिसत्व अवलोकितेश्वर की है और एक तारा की है। अवलोकितेश्वर की एक प्रतिमा वज्रपर्यंक (पलंग पर वज्रासन मुद्रा में) मुद्रा में मिली है। इसके दोनों ओर बुद्ध प्रतिमाएं प्रदर्शित हैं, जिनमें एक वैरोचन की है तथा दूसरी अमोघसिद्धि की है। त्रिपुरी से भी बोद्धिसत्व की मूर्ति प्राप्त हुई है। बोद्धिसत्व का अर्थ है - बुद्ध का अवतार । बोद्धिसत्व को कमल पर योगासन में बैठे हुए दिखाया गया है। उनके सिर पर किरीट, गले में रत्नहार, बाहुओं में केयूर तथा हाथों में वलय है। मूर्ति बोधिसत्व और बुद्ध की मूर्ति का मिला जुला रूप है। सिरपुर से भी उत्खनन के समय बुद्ध की कुछ मूर्तियां प्राप्त हुई हैं जो वरद मुद्रा (वरदान देने की स्थिति) में है। कलचुरिकालीन एक मूर्ति त्रिपुरी से प्राप्त हुई है जो बौद्ध देवी तारा की है। यह प्राणियों को संसार से तारती हैं, इसीलिए इसे तारा कहते हैं। तारा बौद्धों की कल्याणकारी देवी है। इस मूर्ति के मुख पर दुनियादारी में फंसे हुए लोगों के प्रति अनुकंपा का भाव दिखाई देता है। गांगेयदेव के राज्य काल के अंतिम समय में उनके पुत्र कर्ण ने मध पर आक्रमण किया। वहाँ पर युद्ध के समय अनेक बौद्ध मठ लूटे गये और चार भिक्षु और उपासक मार डाले गये। अंत में सुप्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु अतिश दीपंकर के हस्तक्षेप के बाद युद्ध समाप्त हो गया। यहाँ पर कर्ण ने बौद्धों के प्रति दमनात्मक नीति का अनुसरण किया, परन्तु अनेक संदर्भो से