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भारतीय संस्कृति पर बौद्ध परंपरा का प्रभाव
279 चित्रकला संबन्धी अनेक निर्देश मिलते हैं। बौद्ध चित्रकला के सर्वोत्तम उदाहरण बाघ और अजंता की गुहाओं में मिलते हैं। ___ बौद्ध धर्म के माध्यम से भारत का सांस्कृतिक संबंध विभिन्न देशों में स्थापित हुआ। भारत के बौद्ध भिक्षुओं ने तीसरी सदी ई० पू० से विदेशों में जाकर बौद्ध धर्म और सिद्धान्त का प्रचार किया। स्वयं मौर्य शासक अशोक ने अपने पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए श्री लंका भेजा था। यही नहीं उसके युग में अनेक बौद्ध प्रचारक तिब्बत, चीन, और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में गये। पश्चिम में यूनान आदि देशों में भी अशोक के प्रतिनिधि भेजे गये थे। इस प्रकार मौर्य युग और उसके बाद से विभिन्न देशों में बौद्ध प्रचारकों ने जाकर बौद्ध धर्म और ज्ञान की ज्योति जलायी। परिणामस्वरूप विदेशों से बौद्ध अनुयायियों का भारत आना प्रारम्भ हो गया। उनके भारत आने का मुख्य उद्देश्य था बौद्ध धर्म के पवित्र स्थानों की यात्रा करना और बौद्ध धर्म से संबंधित साहित्य संकलित करना। इस प्रकार बौद्ध धर्म के माध्यम से भारत का सांस्कृतिक आदान-प्रदान दूसरे देशों में स्थापित हुआ। बौद्ध धर्म ने अपने अहिंसा और प्राणियों के प्रति दया की भावना से बड़े-बड़े शासकों को प्रभावित कर उनकी राजनीतिक प्रसारवादी महत्वाकांक्षा को अवरुद्ध किया तथा उनके सम्पूर्ण जीवन को ही परिवर्तित कर दिया। महान मौर्य सम्राट अशोक के मन और मस्तिष्क को इस धर्म ने पूर्णतः बदल दिया तथा उसे साम्राज्यवादी क्रियाओं से विमुख कर अहिंसात्मक और करूणाजनित तथा प्रजाहितकारी कार्यों की ओर उन्मुख किया। उसके बाद अनेक सम्राटों ने बौद्ध धर्म के अहिंसा और दया की शिक्षा का अनुसरण किया।
प्रारम्भिक बौद्ध विहारों में शिक्षण नवदीक्षित भिक्षु को जीवन के लिए आवश्यक ज्ञान से संबद्ध रहा, जैसे - विनय और गाथाएं, जातक कथाएं, प्रार्थनाएं, मूल तत्व और दर्शन। यह शिक्षा बार-बार मूल पाठ के सामूहिक रूप से उच्चारण या संगीति यानि एक साथ मिलकर गा-कर याद की जाती थी। इन सबका उद्देश्य था मूल पाठों को कंठस्थ करना। विनयपिटक से बौद्ध धर्म की आरंभिक शिक्षा पद्धति की जो रूपरेखा ज्ञात होती है उससे यह स्पष्ट