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भारतीय संस्कृति पर बौद्ध एवं जैन परम्परा का प्रभाव
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धर्म की प्रांसगिकता जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को अनुप्राणित करती है । बौद्ध धर्म ने सर्वप्रथम भारतीयों को एक सरल तथा आडम्बररहित धर्म प्रदान किया जिसका अनुसरण राजा-रंक, ऊँच-नीच सभी प्रकार से कर सकते थे । बौद्ध धर्म में आध्यात्मिक आत्मनिर्भरता पर काफी जोर दिया गया। इसकी वजह से लोग परम सुख की प्राप्ति के लिए इसका महत्व समझने लगे। बौद्ध धर्म के अनुसार निर्वाण जिन्दा रहते हुए भी अनुभूत किया जा सकता है। भारतीय दर्शनशास्त्र का विकास प्राचीनकाल से बाद के कालों तक बौद्ध धर्म का वैभाषिक विकास जारी रहा। बौद्ध दर्शन का विकास चार भागों में हुआ दर्शन के अनुसार यह संसार सत्य है और निर्वाण भी सत्य है अतः इस दर्शन को सर्वास्तिवादी भी कहते हैं । वैभाषिक दर्शन पर विशाल साहित्य संघभद्र, वसुमित्र, यशोमित्र, और दिड्नाथ के नाम उल्लेखनीय है । वैभाषिक दर्शन के मुख्य सिद्धान्त आर्य धर्म कहलाये पच्च स्कन्ध, द्वादश आयतन, अठारह धातु असंस्कृत धर्म, संस्कृत धर्म, चित, चैत, चितविप्रयुक्त धर्म, सोत्रान्तिक दर्शन के अनुसार यह संसार सत्य है, किन्तु निर्वाण असत्य है । योगाचार दर्शन के अनुसार संसार असत्य है और निर्वाण सत्य है । वेदान्त का प्रतिपादन जिस रूप में शंकराचार्य ने किया, वह उपनिषदों व ब्रह्मसूत्रों के वेदान्त से अनेक अंशों से भिन्न है। भारतीय समाज में संघ और संघाराम का प्रचलन बौद्धों ने प्रारम्भ किया, जिसमें हजारों सन्यासी या साधु एक साथ निवास किया करते थे। बौद्ध से पूर्व भारत में मठों या विहारों की प्रथा नहीं थी । उस युग अरण्यों में आश्रमों की सत्ता अवश्य थी, जिनमें तत्वचिन्तक ऋषि-मुनि अपने पुत्र-कुलत्र के साथ निवास करते थे और ज्ञानपिपासुओं को उपदेश दिया करते थे । बौद्ध धर्म की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भारतीय संस्कृति की देन कला एवं स्थापत्य के विकास में रही। इस धर्म की प्रेरणा पाकर शासकों एवं श्रद्धालु जनता द्वारा अनेक स्तूप, विहार, चैत्यागृह, गुहायें, मूर्तियां आदि निर्मित की गयी जिसमें सांची, सारनाथ, भरहुत, अजन्ता की गुफाएं, बुद्ध एवं बोधिसत्वों की मूर्तियां निर्मित की गईं, एवं गान्धार, मथुरा, अमरावती, नासिक, कार्ले, भाजा आदि बौद्धकला के प्रमुख केन्द्र थे । अजन्ता की दीवारों पर विविध प्रकार के रंग-बिरंगे चित्रों को सजीवता के साथ उकेरा गया है। बौद्ध धर्म के माध्यम से भारत का सांस्कृतिक सम्बन्ध विभिन्न देशों में स्थापित हुआ। भारत के बौद्ध
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