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आचार्य प्रेमसागर चतुर्वेदी : एक
सहज व्यक्तित्व
महाकाल की नगरी उज्जैन से जब कभी अपने गृह जनपद गोरखपुर जाने का अवसर मिलता था तब सहसा 'पूर्वायतन' जाकर आचार्यों के मध्य व्याकुल मन को शान्त करने का अवसर यदि किसी गुरु भाई के साथ मिला तो वह सरल, सौम्य, व्यवहारसम्पन्न भाई प्रेमसागर चतुर्वेदी जी के साथ ही मिला। मेरे शैक्षिक गुरु एवं आचार्य प्रेमसागर जी के शोध निदेशक स्मृति शेष आचार्य विशम्भरशरण पाठक थे। आचार्य प्रेमसागर जी विश्वविद्यालय के अनेक प्रशासनिक पदों को सुशोभित करते हुए आज विभागाध्यक्ष के रूप में प्राचीन इतिहास पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग को अपनी कार्यकुशलता से व्यवस्थित करने में सन्नद्ध हैं। आचार्य प्रेमसागर जी के कृत कार्य आज इतिहास जगत में सभी द्वारा सराहे जा रहे हैं। प्रयाग के समीप जन्मे प्रयाग विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण किये एवं आज गोरखपुर विश्वविद्यालय में कार्यरत आप अपनी शैक्षिक प्रतिभा. सहज एवं शालीन व्यवहार तथा दृढ़संकल्प शक्ति के माध्यम से विद्वत समाज में सराहे जा रहे हैं।
आपके सम्मान में अभिनन्दन ग्रन्थ का लोकार्पण हो रहा है। अभिनन्दन ग्रन्थ के माध्यम से मैं भाई आचार्य प्रेमसागर चतुर्वेदी जी के उर्जावान जीवन एवं दीर्घायु की कामना करता हूँ।
रहमान अली