________________
बौद्ध धर्म का आगमन एवं सामाजार्थिक परिवर्तन
था, जिसका उल्लेख अशोक के अभिलेखों में मिलता है। ध्यातव्य है कि इन पशुओं में बहुतायत संख्या कृषि से सम्बन्धित पशुओं की थी। इन पशुओं में गाय, हिरण, मोर इत्यादि प्रमुख थे, जो सीधे किसी न किसी प्रकार से समाज की अर्थ व्यवस्था से जुड़े थे । जहाँ गाय सीधे कृषि से सम्बन्धित थी, वहीं मोर कृषि की हानि पहुंचाने वाले कीड़े-मकोड़ों को खाता है। इसी प्रकार हिरन भी आर्थिक दृष्टि से दुलर्भ एवं महत्वपूर्ण है। इन पशुओं की कमी के कारण कृषि प्रणाली बुरी तरह प्रभावित हो रही थी । बुद्ध ने अंहिसा के सिद्धान्त को प्रश्रय देकर जैविकीय हिंसा को कम करने का प्रयास किया, जिसमें वे सफल भी हुए । यही कारण है कि बौद्ध स्तूपों की वेष्टिनियों, तोरणद्वारों एवं मौर्य कलाकृतियों में चित्रित कृषिगत पशुओं की अधिकता है।
167
इसके अतिरिक्त यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि इसी काल में समुद्री यात्रा और विदेशी यात्रा पर से प्रतिबन्ध हटा। समुद्री व्यापार को वैदिक परम्परा के धार्मिक ग्रन्थों में निंदित माना गया है। 22 सम्भवतः यह बौद्ध धर्म का ही प्रभाव था कि रोम एवं दक्षिण पूर्व एशिया के देशों से भारत का सम्बन्ध अच्छा बन सका। बौद्ध काल में ही प्रथम बार श्रेणियों की संख्या में बृद्धि होती दिखाई देती है। इसी परिप्रेक्ष्य में विदेश यात्रा करने वाले व्यक्ति के लिए ब्याज पर ऋण देने का प्राविधान प्राप्त होता है। बौद्ध ग्रन्थों में व्यापार के लिए ऋण लेने की प्रथा की चर्चा है किन्तु इसकी निंदा नहीं की गई है। इस काल में समुद्री यात्रा को और अधिक आसान बना दिया गया, जिसका उदाहरण बावेरू जातक से मिलता है, जिसमें तटरक्षक पक्षियों का उल्लेख मिलता है।
बौद्ध धर्म के आगमन के साथ ही साथ समाज में सूदखोरी प्रथा भी प्रारम्भ हुई, जिसका उदाहरण बौद्ध ग्रन्थों में कुसीदिन के रूप में मिलता है। बौद्धों ने व्यापारियों को प्रश्रय देना प्रारम्भ किया, जिससे इस काल में शिल्प एवं उद्योगों में भी काफी वृद्धि हुई। ये व्यापारी अपने यहाँ के बने सामानों को दूर देश में ले जाकर बेंचते एवं वहाँ की सामग्रियां ले आते थे । ये व्यापारी एवं सूदखोर उचित ब्याज पर आम जनता को कर्ज देते थे, जिससे कृषि एवं उद्योगों को बढ़ावा मिला। यद्यपि कि बाद के कालों में उसने विकृत रूप धारण कर लिया ।