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पर्यावरणीय उपादान एवं गौतम बुद्ध
161 से राजगृह पहुँचकर बुद्ध लट्ठिवनुय्यान (यष्टिवन उद्यान) के चैत्य में निवास किए। राजगृह में वे वेणुवन में भी ठहरे। राजगृह से कपिलवस्तु पहुंचकर न्यग्रोधाराम में रुके तथा पुनः राजगृह लौटने पर सीतवन में (जो एक श्मशान वन था), बुद्ध ने अपना दूसरा वर्षावास व्यतीत किया। अनंतर राजगृह से चलकर वैशाली के महावन कूटागारशाला में विहार करते हुए वे श्रावस्ती के जेतवन पहुँचे। चारिका के इस क्रम में बुद्ध ने एक वर्षावास मंकुल पर्वत पर व्यतीत किया। बुद्ध श्रावस्ती से मंकुल की यात्रा में सच्चबन्ध नामक पर्वत पर भी ठहरे थे तथा वापस आते हुए नम्मदा (नर्मदा) नदी के तट पर विहार किया था। एक अन्य वर्षावास (8वाँ) बुद्ध ने भग्गों के देश में संसुमारगिरि के निकट भेसकलावन मृगदाव में बिताई, जहाँ वे वैशाली से गये थे। 9वीं वर्षा कौशाम्बी के घोषिताराम विहार में व्यतीत कर पाचीनवंसदाय होते हुए पारिलेय्यक वन पहुँचे, जहाँ के रक्षित वनखण्ड में 10वाँ वर्षावास किया। 11वाँ वर्षावास बुद्ध ने मगध देश में बोधिवृक्ष के समीप, नाला नामक गाँव में किया। 13वाँ, 18वाँ व 19वाँ वर्षावास बुद्ध ने चेति राष्ट्र के चालिय पर्वत पर किया, जिसके समीप ही जन्तुगम व किमिकाला नदी थी। श्रावस्ती में 25 वर्षावास करने के बाद बुद्ध राजगृह चले गये, जहाँ के गृध्रकूट पर्वत से उन्होंने वैशाली के लिए प्रस्थान किया। मार्ग में उन्होंने पाटलिगाम के समीप गंगा नदी को पार किया। यात्रा-क्रम में वे पावा पहुँचकर चुन्द सुनार के आम्रवन में ठहरे तथा उसके यहाँ 'सुक्करमद्दव' का भोजन किया। बीमारी की अवस्था में ही उन्होंने आनंद के साथ कुसीनारा की ओर प्रस्थान किया। मार्ग में ककुत्था नामक नदी पर स्नान व पान (नहात्त्वा च पिवित्वा च) कर उसे पार किया तथा एक आम्रवन में विश्राम किया। इस आम्रवन से चल कर बुद्ध ने हिरण्यवती नदी को पार किया तथा कुसीनारा के समीप मल्लों के उपवत्तन नामक शालवन में पहुँचे। यहीं शाल वृक्षों के नीचे वैशाख पूर्णिमा की रात्रि के अंतिम प्रहर में भिक्षुओं को संस्कारों की अनित्यता व अप्रमाद पूर्वक जीवनोद्देश्य को पूरा करने का उपदेश देते हुए, तथागत ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया। __गौतम बुद्ध की यात्रा-क्रम में हमें बौद्ध वाङ्मय में पंच महानदियों-गंगा, यमुना, अचिरावती, सरभू व मही का अनेकशः उल्लेख मिलता है।" जातकों में अनेक स्थलों पर अधोगंगा उद्धगंगा' उपरिगंगा व परागंगा' जैसे प्रयोग