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से प्रवेश के साथ ही धारा प्रवाह व्याख्यान से समस्त विषयगत पक्षों को अपने सम्मुख बैठे विद्यार्थियों को बता देना ही आचार्यवर के शैक्षिक क्रियाकलाप का महत्वपूर्ण पक्ष स्वीकारा जाता है।
आचार्य चतुर्वेदी जी अपने विद्यार्थियों की सर्वथा चिन्ता करते हैं। आपका आशीर्वाद प्राप्त कर अनेकों विद्यार्थियों ने दूरस्थ विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में नियुक्ति प्राप्त किया जो आपके सरल एवं सहज व्यक्तित्व का पक्ष है। आपकी धर्मपत्नी सम्माननीया श्रीमती गुणवती चतुर्वेदी जो यथा नाम तथा गुण गुरुमाता की साक्षात् प्रतिमूर्ति हैं। शिष्यों को सर्वथा बेटा कहकर उनका प्राप्त आशीर्वाद एक अपनत्व एवं सहज सम्बन्धों को प्रतिबिम्बित करता है। प्रो० चतुर्वेदी जी बहुभाषा विद् प्राच्य विद्या के प्रसिद्ध विद्वान रूप में प्रतिष्ठित हैं।
माँ भारती के सफल साधक आचार्य प्रेमसागर चतुर्वेदी जी प्राचीन भारतीय कला, स्थापत्य एवं प्राचीन भारतीय राजनैतिक इतिहास के नवतम पक्षों को उद्घाटित करने में सर्वथा अध्ययनरत रहते हैं, जिज्ञासुओं के जिज्ञासा को शान्त करना, अपने सादगीपूर्ण जीवनचर्या से हर विघ्न बाधाओं का क्षणेक में शमन करने वाले ऐसे सहज, सर्वथा वंदनीय, सम्माननीय गुरुवरेण्य के चरणों में वंदन अभिनन्दन सर्वथा निवेदित है। सम्माननीय गुरुवर के अभिनन्दनीय व्यक्तित्व एवं समग्र उपलब्धियों तथा बहुआयामी अवदानों के प्रति शीर्षानमित भाव से संकल्पित तन एवं मन से आपके सम्मानार्थ यह अभिनन्दन ग्रन्थ सादर कमलवत हाथों में समर्पित है।
विनत्
अजय कुमार पाण्डेय