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22 भारतीय समाजवाद के प्रतिष्ठाता
जयप्रकाश नारायण
सुधाकार लाल श्रीवास्तव
भारतीय समाजवाद के प्रतिष्ठाता श्री जय प्रकाश नारायण अपने विद्यार्थी जीवन से ही राष्ट्रीय कार्यक्रमों में सक्रिय थे, उनमें देश प्रेम, स्वतंत्रता समानता
और क्रांति की भावना कूट कूट कर भरी है। अध्ययन के लिए अमेरिका प्रवास में वह मार्क्सवादी हो गये, और जीवन के अन्तिम दिनों में मार्क्सवाद का रास्ता छोड़कर सर्वोदयी गाँधीवादी हो गये थे, मार्क्सवादी से समाजवाद और समाजवाद से सर्वोदयी गाँधीवादी तक की लम्बी विचारयात्रा में कई महत्त्वपूर्ण मोड़ आये और जय प्रकाश नारायण ने अपने विचार परिवर्तन का आधार भी स्पष्ट किया। कांग्रेस के अन्तर्गत विकसित हो रहे समाजवादी दल के संगठन में उनका निर्णायक योगदान था किन्तु वास्तविक रूप से भारत में विकसित हो रहे समाजवादी भावना के वे जनक रहे हैं, समाजवाद को भारतीय संदर्भ में देखने
और उसे व्यावहारिक रूप में उतारने का जो स्तुत्य प्रयास भी नारायण ने किया उसकी महत्ता को नकारा नहीं जा सकता।
राजनैतिक जीवन में प्रवेश काल से ही जय प्रकाश नारायण के मन में सामन्तशाही और पूँजीशाही की समाप्ति का संघर्ष चल रहा था, वे एक नये समाज की कल्पना करते रहे जिसमें गरीब, शोषित मजदूर और पीड़ित वर्ग का उत्थान हो। उनका कहना था कि सामाजिक न्याय, निर्धन और निराशवर्ग को उठाकर ही किया जा सकता है। मार्क्सवाद के अध्ययन ने जय प्रकाश नारायण को स्वातन्त्रय के बृहत क्षेत्र में प्रविष्ट कराया था इसी समय उन्होंने अनुभव