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414 जैन संस्कृति का इतिहास एवं दर्शन
भगवती सूत्र - 20/3/665
उत्तराध्ययन सूत्र- 20/37
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50.
(i) संसारिणो मुक्ताश्च - तत्वार्थ सूत्र - 2 / 10
(ii) दुविहा सव्वजीवा पण्णत्ता तंजहा- सिद्धाचेव, असिद्धाचेव । - स्थानांग सूत्र2/1/101
(iii) संसार समावन्नगाचेव असंसार समावन्ना गाचेव । - स्थानांग सूत्र - 2/1/57
सव्वे सरा नियति, तक्का तत्थ नविज्जइ,
मई तत्थ न गहिया, ओए अपइट्ठाणस्स खेयन्त्रे । - आचारांग सूत्र- 1/5/6
28.
29.
30.
समवायांग सूत्र - सू० 156
31. स्थानांगसूत्र - 85/543
32.
वही - 85/537
33.
स्थानांग सूत्र- 2/1/267
वही - 5/1/364
51.
52.
(i) समवायांग सूत्र - 6
(ii) स्थनांग सूत्र - 504 समवायांग सूत्र - 152
वही - 14
स्थानांग सूत्र 17
सांख्यकारिका - कपिल ऋषि - का० 18 ( पुरुष बहुत्वं सिद्धम्)
तत्वार्थ सूत्र - उमास्वाति - 5 / 23
पंचास्तिकाय - कुन्दकुन्दाचार्य - गा० 74-75
वही - कुन्दकुन्दाचार्य - गा० 79
भगवती सूत्र - 16/8
पंचास्तिकाय संग्रह - कुन्दकुन्दाचार्य - गा॰ 76
वही - कुन्दकुन्दाचार्य - गा० 83
नूतन और प्राक्तन सृष्टि विज्ञान- प्रो० जी०आर० जैन एवं एम० सी० जैन पृ० 31 अमर भारती (पत्रिका) - जुलाई 1979
तत्वार्थ सूत्र - उमास्वाति 5/18
Exploring the Universe, by H. ward. P. 16
Same, P. 266
The nature of the Physical world : by Pr. Edington, P.g. 80 अमर भारती, नवम्बर 1978
पंचास्तिकाय - कुन्दकुन्दाचार्य - गा० 102
तत्वार्थ सूत्र - उमास्वाती - अ० 5 सू० 22
53. व्याख्या प्रज्ञप्ति (अभयदेव वृत्ति) 67 / 246, पृ० 500 से 502
54.
श्रमण भगवान महावीर, पृ 85-89