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246 * जैन संस्कृति का इतिहास एवं दर्शन
44. सुचिन्ना कम्मा, सुचिन्ना फला, दुचिन्नाकम्मा, दुचिन्ना फला। - औपपातिक सूत्र, 56 45. चउव्हेि बंधे पन्नते तं जहा पगइ बंधे ठिइ बंधे अणुभाग बंधे पएस बंधे।स्थानांग, 4/3/296 46. उत्तराध्ययन सूत्र, 20/36 47. न्यायदर्शन,4/1 48. भगवती सूत्र,7-10 49. प्रज्ञापना सूत्र, पृ. 23 50. महाभारत, वन पर्व,30/28 51. उत्तराध्ययन, 20/36 52. प्रज्ञापना, 3/1 सूत्र, 1667 अ. मधुकर मुनि 53. स्थानांग,4/8 54. समवायांग, समवाय,5 55. तत्त्वार्थसूत्र, 8/1 56. वही,8/4 57. वही,6/5 58. सूत्रकृतांग 6/26, स्थानांग सूत्र, 4/1/251, 59. उत्तराध्ययन सूत्र, 32/7, 60. स्थानांग सूत्र 2/2 61. णय वत्थु दो, दुबंधो, अज्झ व साणेण बंधोत्यि-समयसार, 265 62. अणुमित्तो विन बंधो, वर वत्पु पच्चओ भणिओ।ओघनियुक्ति,गाथा 5 63. (i) संयुक्त निकाय, 36/8,43/7/3,45/5/10, 21/3/9
(ii) बौद्ध धर्मदर्शन, पृष्ठ 245 64. दुःख-जन्म-प्रवृत्ति-दोष मिथ्याज्ञानानामुत्तरोत्तोत्तरापाये तदन्तरा पायादपकर्म ॥ न्यायसूत्र,
1/1/2 तत्त्वज्ञानन्निः श्रेयसम्। तत्त्वज्ञानमात्मसाक्षात्कार इह विवक्षितः। तस्यैव सर्वांगेण
मिथ्याज्ञानोन्मूलन-क्षमत्वात् ।। - वैशेषिक सूत्र, प्रशस्त पादभाष्य पृष्ठ 538 66. (i) ज्ञानेन चापवर्गो विपर्ययादिष्यते बन्धः । सांख्यकारिका, 54
(ii) ज्ञानान्मुक्तिः, बन्धो विपर्ययात् । सांख्यदर्शन,3/24-25
(iii) सांख्यकारिका,44,47,48 67. (i) योग दर्शन, 2/314 ___(ii) तस्य हेतुरविद्या, तदभावात् संयोग भावो, तदृशेः कैवल्यम्।-योगदर्शन,2/24-25 68. (i) ज्ञाना ज्ञाने मोक्ष-बंध-हेतु नियम यति... समयसार, गा. 153 टीका। (ii) तथाऽप्यस्यासौ स्यादिह किल बन्धः प्रकृतिभिः।।
सखल्वज्ञानस्य स्फुरति महिमा कोऽपि गहनः ।। समयसार, 395/195 69. उत्तराध्ययन सूत्र, 33/2-3 70. पंचाध्यायी,2/998 71. वही,2/999