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________________ [१०] हिसाब से तो सिर्फ देवों को ही केवल शान होना चाहिये । दिगम्बर स्त्री तीर्थकर, गणधर, चौदपूर्ववेदी, जिन कल्पी, चक्रवर्ती, वासुदेव, बलदेव, संभिन्नश्रुतादिलब्धियुक्त माहारक शरीर वाली, और मरकर अहमिन्द्र देव नहीं हो सकती है। फिर मोक्ष गामी कैसे हो ? - जैन-ये सब मोक्ष के अनन्तर या परपम्पर कारण नहीं हैं पुरुष इनको बिना पाये ही मोक्ष गामी होता है उसी तरह स्त्री भी इनको वगैर पाये ही मोक्ष गामिनी होती है जो साध्य के कारण ही नहीं हैं उनके अभाव में साध्य प्राप्ति का निषेध मानना यह शान कैसा? __ मानलो कि जवाहरलालजी नहेरुं हल को नहीं चला सकता है तो क्या राज्य को भी न चला सकेगा ? एक मनुष्य डाक्टर या . वकील नहीं है तो क्या राजा नहीं बन सकेगा ? नरक से आया हुभा जीव चक्रवर्ती बलदेव या वासुदेव न हो सके तो क्या केवली भी न हो सके ! कभी २ ऐसा भी होता है कि परस्पर में भिन्न या असहयोगी शक्तियां एक साथ में ही नहीं रहती हैं दिगम्बर शास्त्रों में भी ऐसी परस्पर विरोध वस्तुओं का निर्देश है। जैसा कि मणपज्जव, परिहारो, पढममुवसम्मत्त दोएिणआहारा । एदेसु एक पगदे, णस्थित्ति असेसयं जाणे ॥ (गोम्म जीव० गाथा ७२०) __ जब इनमें से कोई भी एक होती है तब दूसरी तीनों वस्तुएं नहीं होती हैं । एवं उक्त तीर्थ कर पद वगैरह भी स्त्री वेद के असहयोगी हैं। अतः वे स्त्री वेद में नहीं रहते हैं। मगर इनके न रहने से मोक्ष प्राप्ति में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती है।
SR No.022844
Book TitleShwetambar Digambar Part 01 And 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshanvijay
PublisherMafatlal Manekchand
Publication Year1943
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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