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पंचम अध्याय : १०७
गणिम-गिन कर बेची जाने वाली वस्तुएँ 'गणिम' कहलाती थीं। एक, दस, सौ, हजार, लाख, करोड आदि गणना के परिमाण माने जाते थे। पूगफल, नारियल आदि वस्तुएँ गिन कर बेची जाती थीं।
धरिम-तुला पर तौल कर बेची जाने वाली वस्तुएँ 'धरिम' कहलाती थीं। ऐसी वस्तुओं का मूल्य निर्धारण मुख्यतः तौल के ही आधार पर किया जाता था । तेजपत्र, अगर, गंधद्रव्य, कुकुम, खाँड, गुड़ आदि तौल कर बेचे जाते थे । अर्धकर्ष, कर्ष, पल, अर्धपल, तुला, अर्धभार, भार आदि तौल के मानक प्रचलित थे।
मेय-माप कर बेची जाने वाली वस्तुएँ 'मेय' कही जाती थीं। घी, दूध, वस्त्र, अन्न आदि माप कर बेचे जाते थे । माप तोन प्रकार के थेधान्यमान, रसमान और अवमान । धान्यों को.मापने के लिये असृति, प्रसृति, सेटिका, कुडव, प्रस्थ, आढक, द्रोण, कुम्भ, वाह आदि धान्यमान मगध में प्रचलित थे। इनके अतिरिक्त मुक्तोलि, मुख, इदुर, आलिन्द, उपचारि आदि भी धान्यमान थे। रसमान में चतुष्षष्ठिका, द्वात्रिंशिका, षोडशिका, अष्टभागिका आदि थे । तेल, दूध, घी आदि इसी से मापे जाते थे। हाथ, दण्ड, धनुष, युग, नलिका, अक्ष, मूसल आदि अवमान भूमि, खेत, भित्ति, कुएँ, कपड़ा, चटाई इत्यादि को मापने के लिये प्रयुक्त किये जाते थे।६।।
परिच्छ-गण की परीक्षा करके बेची जाने वाली वस्तुएँ परिच्छ कहलाती थीं इनमें सोना, चाँदो, मणि, मुक्ता, रत्न आदि माने गये थे। इनको तौलने के लिये गुंजा-रत्ती, कांकणी, निष्पाव, मंडल, सुवर्ण आदि प्रतिमान थे ।
आवश्यकचूर्णि में एक प्राचीन परिपाटी का वर्णन करते हुये बताया गया है कि व्यापारी अपने माल का मूल्य हाथों को वस्त्रों से ढंककर
१. अनुयोगद्वार १७/१९० २. वही, १४/१८९ ३. वही १४/१८८ ४. वही १४/१८८ ५. वही १४/१९० ६. वही १४/१९० ७. वही १४/१९१