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विचार-यात्रा / xv
मेरी दादी एक पण्डित परिवार से आयी थीं, उनके पिता अलवर दरबार में पुस्तकालय के अध्यक्ष पण्डित थे। इसलिए दादी उस युग के सन्दर्भ में अच्छी पढ़ी-लिखी थीं। मेरे प्रपितामह भी अपने ज्योतिष के ज्ञान के लिए प्रसिद्ध पण्डित थे। मेरे पितामह गम्भीर धार्मिक आस्था के व्यक्ति थे। पिता उच्च आधुनिक शिक्षा प्राप्त कर पहले सद्य:स्थापित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के अध्यापक और पीछे अखिल भारतीय ऑडिट एण्ड एकाउण्ट्स सर्विस के अधिकारी रहे। उनकी शिक्षा-दीक्षा तिलक, गाँधी, एनी बेसण्ट, विवेकानन्द एवं श्री अरविन्द आदि के नेतृत्व में दिशा प्राप्त करने वाले ऐसे स्वाधीनता आन्दोलन के परिवेश में हुई, जिसमें आधुनिकता का परम्परा से समन्वय सहज रचनात्मक रूप से हो रहा था। मेरी माता पठनशील और साहित्यिक अभिरुचि की थीं। दादी से मैंने रामायण, महाभारत और भागवत पढ़ना एवं पूजापाठ के प्रति श्रद्धा सीखी, पिता जी से रामकृष्ण परमहंस, विवेकानन्द और श्री अरविन्द के प्रति श्रद्धा अर्जित की। माता के सान्निध्य से साहित्यिक पठन-पाठन की आसक्ति प्राप्त की। इन्हीं तीन स्रोतों से मेरी बाल्यावस्था के संस्कारों का निर्माण हुआ।
1937 में मैंने लाहौर से मैट्रीकुलेशन की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. लाहौर में उस समय एक ओर आर्य समाज और सनातन धर्म की स्पर्धा थी तो दूसरी ओर परम्परा मात्र की उपेक्षा। आर्य-समाज और सनातन धर्म दोनों ही धर्म की वैज्ञानिकता सिद्ध करते थे। स्वामी रामतीर्थ और लाला हरदयाल का बहुत नाम था। भगत सिंह और लाला लाजपत राय देश-भक्ति के प्रतीक थे।
1957-58 में मैं रंगून रहा और घर पर ही पढ़ता रहा। इन दो वर्षों में मेरे पढ़ने का दायरा अचानक ही बहुत विस्तृत हो गया। मैंने हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेजी साहित्य के अतिरिक्त गणित, इतिहास और अर्थशास्त्र की अनेक उच्चस्तरीय पुस्तकें भी पढ़ी। जिन पुस्तकों के पढ़ने से उस समय मेरे मन में स्थायी जिज्ञासायें पैदा हुईं उनमें प्रधान रूप से उल्लेखनीय हैं :
1. Indian Cultural Heritage- Vols. I-III - प्रकाशक : रामकृष्ण मिशन 2. Vivekanand-Rajyog 3. Vivekanand-Gyanyog 4. Shri Aurobindo-Life Divine-Vol. I 5. Tilak-Gita Rahasya 6. Sigmund Freud- Basic Writings 7. James Jeans- The Mysterious Universe 8. Whitchead- Nature of Mathematics 9. शरतचन्द्र के उपन्यास। विशेष रूप से-शेष प्रश्न. पथेरदावी
* साभार 'अव्यय',-सम्पादक: सत्य प्रकाश मिश्र, राका प्रकाशन 2005