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________________ संदर्भ अनुक्रमणिका प्रथम परिवर्त १. हिन्दी साहित्य का इतिहास, प्रथम संस्करण, सं, २०४८, काल विभाग, पृ. ३ २. हिन्दी साहित्य का अतीत, भाग २, अनुवचन, पृष्ठ ५, ३. हिन्दी साहित्य का आदिकाल, बिहार राष्ट्रभाषापरिषद्, पटना, पृ.११ ४. हिन्दी साहित्य का बृहत् इतिहास, प्र.भा. काशीपृ. ३४७ "कविता की प्रायः भाषा सब जगह एक सी ही थी। जैसे नानक से लेकर दक्षिण के हरिदासों तक की कविता की ब्रजभाषा थी, वैसे ही अपभ्रंशको भी "पुरानी हिन्दी कहना अनुचित नहीं, चाहे कवि के देश-काल के अनुसार उसमें कुछ रचना प्रादेशिक हो।' हिन्दी साहित्य की प्रवृत्तियां, पृ. ३६; हिन्दी काव्यधारा, पृ. ३८,५० ७. हिन्दी साहित्य का उद्भव और विकास, १९५३, पृ.१६-१७ ८. हिन्दीजैन भक्ति काव्य और कवि, परिशिष्ट १, पृ. ४९९ हिन्दी साहित्य का आदिकाल एवं मूल्यांकन अनेकान्त, ३४ किरण, ४ दिस. १९८१, पृ.६-८ १०. KroeberA.L.And clydekluckhohn: culture, P.952 ११. कबीर की विचारधारा, पृ.७१-७२ १२. विशेष देखिए, जैन दर्शन एवं संस्कृति का इतिहास - डॉ. भागचन्द्र भास्कर, पृ. ३२३-३३७ १३. कबीर की विचारधारा, पृ.७४-८४
SR No.022771
Book TitleHindi Jain Sahityame Rahasya Bhavna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushplata Jain
PublisherSanmati Prachya Shodh Samsthan
Publication Year2008
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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