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रहस्य भावनात्मक प्रवृत्तियों का तुलनात्मक अध्ययन 401 सभी नायक नायिका का, जो परमात्मा का स्वरूप है, रूप गुण वर्णन सुनकर अथवा स्वप्न में या साक्षात् देखकर उसके विरह में व्याकुल होकर घरबार छोडकर योगी बन जाते हैं। गुणश्रवण के द्वारा प्रेम भावना जाग्रत होने वाली कथाओं के अन्तर्गत 'पद्मावत', 'हंसजाहर', 'अनुरागवांसुरी', 'पुहुपावती' आदि कथायें आती हैं। 'छीता' प्रेमाख्यान में गुणश्रवण से आकर्षण एवं पश्चात् साक्षात् दर्शन से प्रेम जाग्रत होता है । चित्रदर्शन से प्रेमोद्भूत होने वाली कथाओं में चित्रित होने वाली कथाओं में 'चित्रावली' 'रतनावली' आदि कथायें आती हैं। स्वप्न दर्शन के क्षण प्रेम जाग्रत होने वाली कथायें अधिक हैं। 'कनकावती', 'कामलता', 'इन्द्रावती', 'युसूफ जुलेखा', 'प्रेमदर्पण' आदि प्रेमाख्यान इसके अन्तर्गत आते हैं। साक्षात् दर्शन के द्वारा जागृति का वर्णन मधुमालत, मधकरमालति एवं भाषा प्रेमरस आदि में मिलता है। ३२०
सूफी कवियों में जायसी विशेष उल्लेखनीय है। उन्होंने अन्योक्ति और समासोक्ति के माध्यम से प्रस्तुत वस्तु से अप्रस्तुत वस्तु को प्रस्तुत कर आध्यात्मिक तथ्यों की ओर संकेत किया है । सूर्यचन्द्र साधना के प्रकाश में डॉ. त्रिगुणायत ने पद्मावत की कथा की अन्योक्तियों को इस प्रकार समझाया है -३२१ १) सिंहल दीप - सहस्रार कमल २) मानसरोवर - ब्रह्मरन्ध्र ३) तोता - गुरु ४) रतनसेन - योगी साधक ५) नागमति - माया ६) पद्मावती - शुद्ध ज्योति स्वरूपी जीवात्मा जिसमें
शिव शक्ति प्रतिष्ठित रहती है।