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रहस्य भावना एक विश्लेषण २. पाश्चात्य विद्वानों की दृष्टि में रहस्यवाद
M.G.R. Alliert Forges Ferrata a Theology (ईश्वरीयशास्त्र) से सम्बद्ध कर कहा है कि ये दोनों विधायें विज्ञानों की राज्ञी कही जा सकती हैं। R.L. Nettleship ने यथार्थ रहस्यवाद को अनुभूतिजन्य प्रतीति का एकांशबोध स्वीकार किया है जो किसी अधिक वस्तु का प्रतीक मात्र है - True mysticism is the consciousness that everything that we experience is an element and only an eliment in fact, i.e. that in being what it is, symbolic of some thing more.24 Walter T. Stace ने रहस्यवाद को चेतना से सम्बद्ध कर उसे Sensory intellectual consciousness कहा।" फ्लीडर (Fleiderer) ने रहस्यवाद की भावात्मक अभिव्यक्ति को उपस्थित करते हुए उसे आत्मा और परमात्मा के एकत्व का प्रतीक माना है। यहां उन्होंने रहस्यवाद का धार्मिक अथवा आध्यात्मिक दृष्टि से विश्लेषण किया है - Mysticism is the immediate feeling of the unity of the self with God; it is nothing but the fundamental feeling of religion. The religious life is at its very heart and centre. 26
____Pingle Panthison (पिंगले पान्थिजन) ने लिखा है - "रहस्यवाद उन मानवीय प्रयत्नों से सम्बद्ध है जो परम सत्य को ग्रहण करने के प्रयत्न में होता है और उस सर्वोच्च सत्ता के सान्निध्य से उत्पन्न एक आनन्द होता है। चरम सत्य को ग्रहण रहस्यवाद का दार्शनिक पक्ष है और सर्वोच्च सत्ता के साथ मिलने के आनन्द से उत्पन्न अनुभूति धार्मिक पक्ष है। E. Caird ने रहस्यवाद को एक मानसिक प्रवृत्ति माना है जिसमें आत्मा और परमात्मा के सभी सम्बन्ध गर्भित हो जाते