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________________ रहस्य भावना एक विश्लेषण सम्बन्ध बनाते हुए लिखा है कि प्रत्येक धर्मो में बाह्य विधि-निषेधों का प्रावधान रहता है जबकि आध्यात्मिकता सर्वोच्च सत्ता को समझाने और उससे तादात्म्य स्थापित करने तथा जीवन के सर्वागीण विकास की और संकेत करती है। आध्यात्मिकता धर्म और उसके अन्तर्गत निहित तत्त्व का सार है और रहस्यवाद में धर्म के इसी पक्ष पर बल दिया गया है । ९ 161 डॉ. महेन्द्रनाथ सरकार ने रहस्यवाद की परिभाषा को दार्शनिक रूप देते हुए कहा है कि रहस्यवाद सत्य एवं वास्तविक तथ्य तक पहुंचने का एक ऐसा माध्यम है जिसे निषेधात्मक रूप में तर्कशून्य कहा जा सकता है।" परन्तु डॉ. राधाकमल मुकर्जी ने रहस्यवाद को कला बताते हुए कहा है कि वह एक ऐसा साधन है जिससे साधक अन्तःयोग द्वारा संसार को अखण्ड रूप में अनुभव करता है।" वासुदेव जगन्नाथ कीर्तिकार ने रहस्यवाद को एक आचार प्रधान अनुशासन बनाकर उसे ईश्वर से एकता प्राप्त करने का एक साधन बताया है।' प्रो. रानाडे के अनुसार रहस्यवाद अन्तर्ज्ञान के द्वारा परमात्मा का साक्षात्कार कहा जा सकता है।" आ० रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार सधना के क्षेत्र में जो अद्वैतवाद है, काव्य के क्षेत्र में वही रहस्यवाद है । ' जयशंकर प्रसाद के अनुसार काव्य में आत्मा की संकल्पात्मक अनुभूति की मुख्य धारा का नाम रहस्यवाद बताया है ।' १२ १४ १५ डॉ० रामकुमार वर्मा ने रहस्यवाद को अन्तर्हित प्रवृत्ति का प्रकाशन बताते हुए कहा है रहस्यवाद जीवात्मा की उस अन्तर्हित प्रवृत्ति का प्रकाशन है जिसमें वह दिव्य और अलौकिक शक्ति से अपना शान्त और निश्छल सम्बन्ध जोडना चाहती है। और यह सम्बन्ध यहां तक बढ जाता है कि दोनों में कुछ भी अन्तर नहीं रह
SR No.022771
Book TitleHindi Jain Sahityame Rahasya Bhavna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushplata Jain
PublisherSanmati Prachya Shodh Samsthan
Publication Year2008
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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