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________________ हिन्दी जैन साहित्य में रहस्यभावना कल्याण तिलक का मृगापुत्र संधि (सं. १५५०), चारुचन्द्र का नन्दन मणिहार संधि, (सं. १५८७), संयममूर्ति का उदाहर राजर्षि संधि (सं. १५९०), धर्ममेरु का सुख-दुख: विपाक संधि (सं. १६०४, गुणप्रभसूरि का चित्रसंभूति संधि (सं. १६०८), कुशल लाभ का जिनरक्षित संधि (सं. १६२१), कनकसोम का हरिकेशी संधि (सं. १६४०), गुणराज का सम्मति संधि (सं. १६३०), चारित्र सिंह का प्रकीर्णक संधि (सं. १६३१), विमल विनय का अनाथी संधि (सं. १६४७), विनय समुद्र का नमि संधि (सं. १७ वीं शती), गुणप्रभ सूरि का चित्र संभूति संधि (सं. १७५९) आदि। ऐसे पचासों संधि काव्य भण्डारों में बिखरे पड़े हुए हैं। ३. चरित काव्य हिन्दी जैन कवियों ने जैन सिद्धान्तों को प्रस्तुत करने के लिए महापुरुषों के चरित का आख्यान किया है। कहीं-कहीं व्यक्ति के किसी गुण-अवगुण को लेकर भी चरित ग्रन्थों की रचना की गई है जैसे ठकुरसी का कृष्ण चरित्र। इन चरित ग्रन्थों में कवियों ने मानव की सहज प्रकृति और रागादि विकारों का सुन्दर वर्णन किया है। मध्यकालीन कतिपय चरित काव्य इस प्रकार हैं 112 सघारु का प्रद्युम्नचरित (सं. १४११), ईश्वरसूरि का ललितांग चरित (सं. १५६१), ठकुरसी का कृष्ण चरित (सं. १५८०), जयकीर्ति का भवदेवचरित (सं. १६६१), गौरवदास का यशोधर चरित (सं. १५८१), मालदेव का भोजप्रबन्ध (सं. १६१२, पद्य २०००), पाण्डे जिनदास का जम्बूस्वामी चरित (सं. १६४२), नरेन्द्रकीर्ति का सगर प्रबन्ध (सं. १६४६), वादिचन्द्र का श्रीपाल
SR No.022771
Book TitleHindi Jain Sahityame Rahasya Bhavna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushplata Jain
PublisherSanmati Prachya Shodh Samsthan
Publication Year2008
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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