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________________ श्रीअर्हदादिसमलंकृतसिद्धचक्रा- धिष्ठायका विमलवाहनमुख्यदेवाः ॥ देव्यश्च निर्मलदृशो दिगिना ग्रहाश्च, सर्वेऽपि में भवत सन्निहिताः प्रमोदात् ॥३॥ वषट्॥ संनिधाननी मुद्राए सन्निधान करवू । (संनिरोधनम्) श्रीअर्हदादिसमलंकृतसिद्धचक्रा- धिष्ठायका विमलवाहनमुख्यदेवाः ।। देव्यश्च निर्मलदृशो दिगिना ग्रहाश्च, स्थातव्यमेव यजनावधिरत्र सवै : ॥४॥ संनिरोधनीमुद्राए सन्निरोध करवो ॥ (अवगुंठनम्) श्री अर्हदादिसमलंक्तसिद्धचक्रा-धिष्ठायका विमलवाहनमुख्यदेवाः । देव्यश्च निर्मलदृशो दिगिना ग्रहाश्च, सर्वे भवन्तु परदेहभृतामदृश्याः ॥५॥ फट् ॥ (अवगुंठननीमुद्राए अवगुंठन करवू ।) (पूजनम्) श्री अर्हदादिसमलंकृतसिद्धचक्रा-धिष्ठायका विमलवाहनमुख्यदेवाः ।। देव्यश्च निर्मलदृशो दिगिना ग्रहाश्च,पूजां प्रतीच्छत मया विहितां यथावत् ॥६॥ पूनमुद्रामे (Airel sA) पूछन ४२ऍ॥ ॥ अथ अधिष्ठायकादिपूजा ॥ (पांचमुं वलय) (१) ॐ ह्रीँ अहँ श्रीसिद्धचक्राधिष्ठायकाय श्रीविमलवाहनाय स्वाहा ॥ कोळु ॥ (२) ॐ ही श्रीचक्रेश्वर्यै स्वाहा ॥ कोळु ॥ (३) ॐ ह्रीं श्रीअप्रसिद्धसिद्धचक्राधिष्ठायकाय स्वाहा ॥ कोळु ॥ (४) ॐ ही अहँ जिनप्रवचनाधिष्ठायकाय श्रीगणिपिटकयक्षराजाय स्वाहा ॥ पान सोपारी हवे पछी आगळ दरेक पदोनुं पूजन पान सोपारीथी करवू । (५) ॐ ह्रीं अहँ श्रीस्फुरत्प्रभावाय श्रीधरणेन्द्राय स्वाहा ॥ (६) ॐ ह्रीँ श्री तीर्थरक्षादक्षाय श्रीकपर्दियक्षाय स्वाहा ॥ (७) ॐ ह्रीँ श्रीशारदायै स्वाहा ॥ (८) ॐ ह्रीं श्रीशान्तिदेवतायै स्वाहा ॥ (९) ॐ ह्रीं श्रीअप्रतिचक्रायै स्वाहा ॥ (१०) ॐ ही श्रीज्वालामालिन्यै स्वाहा । (११) ॐ ह्रीँ श्रीत्रिभुवनस्वामिन्यै स्वाहा ॥ (१२) ॐ ह्रीँ श्री श्रीदेवतायै स्वाहा ॥ -614
SR No.022757
Book TitleNavpad Manjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmityashsuri
PublisherSohanlal Anandkumar Taleda
Publication Year2005
Total Pages654
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size38 MB
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