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Prakrit and Apabhra mía Studies
एहस समयदिक्ख परभइरव जलणि हि मज्जणिण इत्थति लज्जहवन बहुपभवहोइउवाउजिण ।। (13.1,2) सअल-भाव-परिउण्णउ पर-भइरउ अताणु । जाइवि अग्ग-णिसण्णउ जोअभि(?) सीस-त्ताणु ।। एह स-समय-दिक्ख पर-भइरव जलणहि मज्जणिण । इत्थ तिलज्जहवन(?) वहु-परिभव होइ उवाउ जि ण ॥ [सकल-भाव-परिपूर्णः पर-भैरव आत्मा । xxx अप्र-निषण्ण: xx xx xx॥ एषा. स्व-समय-दीक्षा पर-भैरव जलनिधि-मज्जनेन । अत्र Xx x x बहु-परिभवः भवति उपायः एव न ॥]
XXXII
सअलतत्तपरिउण्णउ सअलतत्त उत्तिण्णउ । परिआणहअत्ताणउ परमसिवेण समाणउउ ।। (8.1) सअल-तत्त-परिउण्णउ सअल-तत्त-उत्तिण उ । परिआणह अत्ताणउ परम-सिवेण समाणउ ।। [सकल-तत्त्व-परिपूर्णम् सकल-तत्वोत्तीर्णम् । परिजानीत आत्मानम् परम-शिवेन समानम् ।।]
(3)
The Metres of the above passages can be identified as follows: Name of the Occurence Type of the Metrical scheme (number metre
metre
of mātrās per line and the
Ganastructure) 2
4 Gathā 3.1,3.2,15.1, Visama 30(%3D4+4+4+4+4 16.1,31.1 Catuspadi Fuulu+4+-)+
27(34+4+4+4+4+n+ (total 5)
4+-) Vadanaka 1.1,2.1,22.1 Sarvasama 16(=6+4+uu - +u)
(total 3) Catuspadi (rhyme : a, b, c, d)