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The Sadayavatsa-kathā
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हूंठा-वचन]
ठ्ठु भणइ : 'नवि जाणिउ भेट, वारि रांड-तणइ मनि खेद । . 'देहरा-मांहि दुहवी जेअ, डंस वीसरइ न डोकरि तेह ॥४८९।। . इणि वीसासी वाह्या वीर, इणि खाइ पाडया घर-धीर 'इणि वेसाइं विगोया भला; इणि रोल्या राउत केतला ॥४९०॥ वेसा-तणउ म करि वीसास, वेसा-वयण ते मुहि गली पास ।
5 'मच्छ जेम मांस-नइ धरइ, जीव-तणउ जीवी अपहरई' ॥४९१॥ [सूदा-वचन]
सुद्द भणइ : 'हूंअ जाणूं सहू, वेसा-तणी वात छइ बहू ।
जउ भाई ! भव कीजइ एह, जयल्लपणानउ आविउ छेह' ॥४९२॥ [ठूठा-वचन]
'एह अनेरउ नहीं उआउ, एहनइ विषय-तणउ विवसाउ ।
इहनइ मनि माटीनी आस, इहनइ लहइ विदेसी वास' ॥४९३॥ [परिचारिका-निवेदन]
परिचारिकि जे पूठिइ वही, तीणाइ घरि जईनइ कारण कही । 'ते धीरउ आवेव करइ, पणि ठूठीउ कुटाइ करइ' ॥४९४॥ तउ वीजी बोलावो बाल : 'जई चालवि ठूठउ चंडाल । मानी लांच लोभवि घणू, कामिणि कान करे आपणू' ।।४९५।। 'तउ तीणइ खिलकी-नइ खुट, हूलवी बोलाविउ ठूठ ।
लांच-तणउ देखाडिउ लोभ, कांइ ए क्षित्री-कारणि शोभ? ।।४९६॥ [ठूठाने लांचनु प्रमोभन]
"लांच आंच नवि ठूटउ सहइ, कांई कथन अपूरव कहइ । [ठूठा-वचन]
'कामसेनि-लहुडी चित्रलेख, तेह ऊपरि माहरी अभिलेख ॥४९७॥ ते जउ रातिई मइ-सिउ रमइ, तउ ए गेहि तम्हारइ गमइ । बीजू 10 कांइ म बोलि आल, ठूठइ-सरिस न चालइ चाल' ॥४९८॥
1. 'मह' आ. 2. 'हारिउ वाद विगोइ जेह, ए वीसरइ' भा. 3. 'या छइ' अ.
4. 'ईणइ व्यास विगोया घणा' आ. 5. 'माणस जेम मछिनई' आ. 6. 'वहसी' आ. 7. 'पूछो रही' आ. 8. 'हुपाई' भ. 9. 'वाटे करीनइ खलकी खुट' आ. 10. 'वेशा-वचन' आ. 11. 'बहु' आ, 'इस्यु भणिई ठूठू चंडाल' आ.