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* श्रीः
प्रद्युम्न चरित्र ।
* पहिला परिच्छेद *
चीन काल से भारत वर्ष में द्वारका नगरी प्रसिद्ध प्रा है । विश्वविख्यात कृष्ण नारायण वहीं के
अधिपति थे । वे बड़े प्रतापी, पराक्रमी और
शुरवीर राजा थे। उन्हों ने वाल्यावस्था में ही कंसादि शत्रुओं का विनाश किया था । गोवर्धन पर्वत को उठाकर उसके नीचे गाय के बछड़ों की रक्षा की थी। यमुना नदी में काले नागको नाथा था । जरासिंधु के भाई अपराजित को संग्राम भूमि में नष्ट किया था । उनके बल को देख कर मनुष्यों की तो क्या बात, देवता भी थर थर काँपते थे । सत्यभामा उनकी पट्टरानी थी, जो पति के समान सर्व गुण सम्पन्न थी; और जिसके रूप लावण्य को देखकर देवाङ्गनाएँ भी शर्माती थीं।
कृष्ण महाराज जिन धर्म के सच्चे भक्त और उपासक थे । पूर्वोपार्जित पुण्य के उदय से अनेक प्रकार की राज्य विभूति और धन धान्यादिक सम्पदा को भोगते हुए भी