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________________ इसमें जगद्विख्यात् यादवघंश तिलक शिरोमणि श्री कृष्ण नारायण के श्रेष्ठ पुत्र कामदेव प्रद्युम्न कुमार का चरित्र संक्षेप में दिया गया है। कामकुमार किस कुल में उत्पन्न हुआ, उसके माता पिता कैसे तेजस्वी, प्रतापी और विभवशाली थे। उसका किस प्रकार उत्पन्न होते ही हरण होगया, भारी शिला के नीचे दबाया गया, राजा कालसंवर के यहां जाकर बड़ा हुआ, अनेक लाभ और विद्याओं को प्राप्त किया, ब्रह्मचर्य व्रतको स्थिर रक्खा, शत्रुओं का दमन किया, दुष्ट माता का भी आदर किया, अपने शहर में लौटकर अपनी माता की सौत से बदला लिया, यादवों को अपने अपूर्व बलका परिचय दिया, अंत में संसार को असार जानकर घोर तपश्चरण किया और केवल ज्ञान को प्राप्त करके मोक्ष पदको प्राप्त किया आदि ३० परिच्छेदों में कुल ग्रंथ समाप्त किया गया है । कथा बड़ी मनोरंजक और आश्चर्यजनक है । प्रत्येक स्त्री पुरुष इसे पढ़कर कुछ न कुछ शिक्षा प्राप्त कर सकता है । हमने इसको अपने परमप्रिय मित्र श्रीयुत नाथूराम जी प्रेमी के हिंदी अनुवाद के आधार पर लिखा है और सर्वत्र उन की वाक्य रचना तथा लेख शैली का अनुकरण किया है जिसके लिए हम उनके अत्यंत आभारी हैं । आशा है कि इस विषय में हमारा यह नवीन साहस पाठकों को रुचिकर होगा। यदि यह पसंद आया तो हम बहुत शीघ्र कृष्ण चारित्र तथा अन्य उत्तम२ पुरुषों के चरित्र पाठकों की भेंट करेंगे। लखनऊ १२-२-१४ । दयाचन्द्र गोयलीय।
SR No.022753
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachandra Jain
PublisherMulchand Jain
Publication Year1914
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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