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________________ (219) को हरना, तक्षक पर्वत पर शिला के नीचे दबाना तथा राजा कालसंवर का प्रद्युम्न को लेजाना इत्यादि वर्णन किया और यह भी कहा कि जब कुमार १६ वर्ष का होगा तब सोलह, प्रकार के लाभ और दो विद्याओं सहित द्वारका में आकर अपने माता पिता से मिलेगा । उसके घर आते समय अनेक प्रकार की शुभ सूचक घटनाएँ होंगी । रुक्मणी के स्तनों से आप से आप दूध झरने लगेगा । कमलों के समूह प्रफुल्लित हो जायँगे । घर की बावड़ी जो सूख रही है पानी से भरजायगी । घर के सामने का अशोक वृक्ष जो सूख रहा है, हराभरा हो जायगा । इसी प्रकार अन्य वृक्ष अपनी २ ऋतु का समय उल्लंघन कर एकदम फूल फल उठेंगे इत्यादि अनेक आश्चर्य जनक क्रियाएँ होंगी । पश्चात् पद्मनाभि चक्रवर्ती के पुनः प्रश्न करने पर प्रद्युम्न के पूर्व भावका सविस्तर वर्णन किया और कहा कि प्रद्युम्न का जीव पूर्व भव में अयोध्या का राजा मधुथा । उस समय मोह जाल में फँस कर दुर्बुद्धि की प्रेर्णा से उसने वटपुर के राजा हेमरथ की रानी चन्द्रप्रभा पर आसक्त होकर उसे छल वल से हर लिया था । उसके बिरह में हेमरथ पागल होगया था । अब उसी हेमरथ का जीव दुख रूपी संसार सागर में चिर काल पर्यंत नीच योनियों में परिभ्रमण करता हुआ कर्म योग
SR No.022753
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachandra Jain
PublisherMulchand Jain
Publication Year1914
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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