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________________ ६४ पक्वताने प्रगट करे छे तेमज सज्जनोनी नम्रता तेमनी पक्वता " ' अर्थात् योग्यता के मोटपण प्रगट करें छे. ४८. हवे ते बंधुओना प्यारा जीवंधर स्वामी शेठना आग्रहथी तेमने घेर गया, कारण के लोकमां सज्जन पुरुषोनी मित्रता अरसपरस बे चार वातो करवाज थई जाय हे साप्तपदीनं सख्यम् ' ए कहेवत प्रसिद्ध छे, अर्थात् एक बीजा साथे सात पद उच्चारण करवाथी मित्रता थई जाय छे. ४९. कोण एवं छे के, जे आ संसारमां आवती लक्ष्मीने लात मारे ? तेथी तेमणे शेठनी दीनता अथवा नम्रताथी कन्या साथे लग्न करवानो स्वीकार कर्यो. ५०. त्यार पछी पवित्र जीवंधर स्वामीए शुभ लग्नमां शुभद्र शेठ द्वारा समर्पण करेली क्षेमश्रीनी साथे विधिपूर्वक लग्न कर्यु. ५१. आ प्रमाणे श्रीमान् वादी सिंहसूरिए रचेल क्षत्रचूडामाण ग्रन्थमां 'क्षेमश्री लम्भ' नामे छटुं प्रकरण पूर्ण थयुं.
SR No.022747
Book TitleJivandhar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshatrachudamani
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1913
Total Pages132
LanguageHnidi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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