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उत्तर देवा लाग्यो; कारण के इच्छित सहायताना होवाथी पण प्रयत्न फळदायक नीवडे छे. ४०. आ स्थानमा क्षेमपुरी नामनी एक राजधानी शोभे छे, अने आ नगरीनो स्वामी नरपति देव राजा छे. ४१. ते राजाना श्रेष्ठी पद पर [ नगरशेठनी पदवीपर ] प्रतिष्ठित एक सुभद्र नामनो शेठ छे, जेनी स्त्रीनुं नाम निरृत्ति छे अने क्षेत्री ए बन्नेनी पुत्री छे. ४२. ज्योतिषिओए ए कन्यानां जन्मलग्रम ए हिसाब बताव्यो हतो के, जे पुरुषना निमित्तथी आ जिन मंदिरनां द्वार आपोआप उघडशे ते पुरुष आ कन्यानो पति थशे. ४३. मारुं नाम गुणभद्र छे. हुं शेठनो नोकर छं, अने तेमनो मोकलेलो ते पुरुषनी परीक्षा माटेज अहीं रह्यो छं. आज में आपने दीठा छे; अर्थात् जे पुरुषनी तपासमां हुं हतो, ते आपज छो. " ४४. एवं कहीने तेणे फरी नमस्कार कर्या अने पछी तरतज पोताना मालीक पासे जईने अने बहु प्रसन्न थईने स्वामीनुं वृतान्त कही बतान्युं. ४५. सुभद्र पण ए वात सांभळीने ते वखते तेनी साधे आव्या अने तेणे जीवंधर स्वामीने जिनदेवनी पूजामां तत्पर दीठा. ४६. ते वखते वैश्यपति अथवा शेठे तेनुं फक्त शरीरज दीढुं नहि, परंतु ऐश्वर्य पण दी. शुं सुगन्धित पदार्थनी सुगन्धि सोगन खावाथी नक्की थाय छे ? नहि तेतो जाते मालुमज पडे छे. अभिप्राय ए छे के, कोईना कला विना तेणे जीवंधरना वैभवने जाणी लीधो. ४७ पूजाना अंतमां ते बन्नेनो परस्पर यथायोग्य सुश्रूषानो व्यवहार थयो. जेम धान्यनी नम्रता तेनी