________________
(२७५) उसके निराशा भरे वचनों को सुनकर कुमारी मूर्छित होगई है और उसी को होशमें लाने के लिये यह सारी दौड़धूप हो रही है । उसी के सोच में यह सारा रोना चिल्लाना हो रहा है। यही बात रंग में भंग का कारण हुई है। न जाने अब क्या होगा ? ऐसा कह कर वह अपनी सखी के साथ चली गई। - उन सब के वहाँ से चले जाने के बाद राजकुमारी के साथ विवाह न करने की इच्छावाले कुमार श्रीचन्द्र ने मदन पाल से कहा, "भाई ! तुम व्यर्थ ही राज्यसुख
और वैभव को छोड़ कर इधर उधर भटक रहे हो । यदि इसके बिना तुम्हें सरता ही न हो तो मेरी सलाह सुनो।"
__ संसार में धन ही एक ऐसी वस्तु है जिससे सारे मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं बिना इसके सब निष्फल है । यह सुन कर मदनपाल ने कहा, अगर धन हो तो यह उपाय किस रीति से सफल हो सकता है ? - श्रीचन्द्र कुमार उसको लेकर वहां से दूर चला गया। वहां जाकर उसने कहा कि जो बात राजकुमारी की सखी ने कही है उसीके आधार पर हमें यह सारा जाल फैलाना होगा । तुम कुमार श्रीचन्द्र बनो और मैं तुम्हारा सेवक । फिर नगर में चलें और किराये से मकान लेकर